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IPO कैसे काम करता है? How does an IPO work?

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़े. आज इस आर्टिकल में IPO कैसे काम करता है? | How Does an IPO Work?

1. IPO का मतलब क्या है?

IPO यानी Initial Public Offering, वह प्रक्रिया है जिसमें एक प्राइवेट कंपनी पहली बार आम जनता (Public Investors) को अपने शेयर बेचती है।

Private Company → सिर्फ फाउंडर, शुरुआती इन्वेस्टर्स और कुछ बड़े प्राइवेट इन्वेस्टर्स के पास शेयर होते हैं।

Public Company → अब कोई भी इन्वेस्टर शेयर खरीद सकता है (स्टॉक एक्सचेंज के जरिए)।

सीधे शब्दों में — IPO का मतलब है कंपनी का “पब्लिक” हो जाना।

 

2. कंपनी को IPO की ज़रूरत क्यों होती है?

किसी भी कंपनी के IPO लाने के पीछे कुछ बड़े कारण होते हैं:

1. पैसा जुटाना → बिज़नेस को बढ़ाने, नए प्रोजेक्ट शुरू करने, कर्ज चुकाने या टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने के लिए।

2. ब्रांड वैल्यू बढ़ाना → पब्लिक कंपनी बनने से मार्केट में विश्वास और पहचान बढ़ती है।

3. पुराने इन्वेस्टर्स को Exit देना → जो इन्वेस्टर्स पहले कंपनी में पैसा लगा चुके हैं, वो अब पब्लिक मार्केट में शेयर बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हैं।

4. कर्मचारियों के लिए शेयर बेनिफिट → ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के जरिए।

 

3. IPO लाने से पहले कंपनी की तैयारी

IPO सिर्फ “शेयर बेचने” का काम नहीं है — यह एक लंबी और नियमों से भरी प्रक्रिया है।
यहाँ कंपनी को कुछ बड़े स्टेप्स लेने पड़ते हैं:

a. Merchant Banker/Underwriter चुनना

कंपनी Merchant Banker या Investment Bank हायर करती है (जैसे ICICI Securities, Kotak Mahindra Capital आदि)

इनका काम होता है IPO की पूरी प्लानिंग, वैल्यूएशन और मार्केटिंग करना।

b. Due Diligence और Paperwork

कंपनी का पूरा वित्तीय रिकॉर्ड, लीगल डॉक्यूमेंट्स, बिज़नेस मॉडल और रिस्क फैक्टर्स चेक किए जाते हैं।

इसका मकसद है यह दिखाना कि कंपनी निवेश करने लायक है।

c. DRHP बनाना (Draft Red Herring Prospectus)

DRHP एक बड़ा डॉक्यूमेंट है जिसे SEBI (Securities and Exchange Board of India) के पास जमा किया जाता है।

इसमें कंपनी का इतिहास, मैनेजमेंट, बिज़नेस प्लान, फाइनेंशियल रिपोर्ट्स और रिस्क डिटेल्स होते हैं।

 

4. IPO का Approval और Pricing Process

a. SEBI Approval

DRHP देखने के बाद SEBI सवाल पूछ सकता है और बदलाव करने को कह सकता है।

जब सब क्लियर हो जाता है, तो IPO को ग्रीन सिग्नल मिल जाता है।

b. Pricing Method

IPO दो तरीकों से प्राइस किया जा सकता है:

1. Fixed Price Issue → पहले से तय कीमत पर शेयर बेचना।

2. Book Building Issue → प्राइस रेंज तय की जाती है, इन्वेस्टर्स अपनी बोली (bid) लगाते हैं और फिर फाइनल प्राइस निकलता है।

 

5. IPO का Allotment Process (शेयर कैसे मिलते हैं)

a. IPO ओपन होना

IPO आमतौर पर 3 से 5 दिन खुला रहता है।

इस दौरान इन्वेस्टर्स (Retail, QIB, HNI) अप्लाई कर सकते हैं।

b. Investor Categories

1. Retail Individual Investor (RII) → आम लोग, जिनका इन्वेस्टमेंट ₹2 लाख तक हो सकता है।

2. Qualified Institutional Buyer (QIB) → म्यूचुअल फंड, बैंक्स, इंश्योरेंस कंपनियां।

3. High Networth Individual (HNI) → ₹2 लाख से ऊपर लगाने वाले इन्वेस्टर्स।

 

c. Oversubscription Case

अगर किसी IPO में मांग ज्यादा और शेयर कम हैं, तो शेयर लॉटरी सिस्टम से अलॉट होते हैं।

d. Allotment & Refund

IPO क्लोज होने के 1 हफ्ते में अलॉटमेंट हो जाता है।

जिन्हें शेयर नहीं मिलते, उनका पैसा वापस कर दिया जाता है।

 

6. स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग

IPO पूरा होने के बाद शेयर NSE और BSE पर लिस्ट होते हैं।

Listing Day पर मार्केट डिमांड के हिसाब से शेयर का ओपनिंग प्राइस तय होता है।

अगर डिमांड ज्यादा है → शेयर प्रीमियम पर खुलेगा (Listing Gain)

अगर डिमांड कम है → शेयर डिस्काउंट पर खुल सकता है (Loss)

 

7. IPO के फायदे और नुकसान

फायदे (For Company)

बड़ा फंड जुटाना।

पब्लिक इमेज और ट्रस्ट बढ़ना।

पुरानों इन्वेस्टर्स को Exit।

नुकसान (For Company)

पब्लिक और SEBI के नियमों का पालन करना जरूरी।

हर क्वार्टर रिजल्ट पब्लिक करना।

शेयर प्राइस गिरने पर नेगेटिव पब्लिसिटी।

फायदे (For Investor)

शुरुआती स्टेज पर अच्छे बिज़नेस में निवेश का मौका।

Listing Gains से जल्दी प्रॉफिट।

नुकसान (For Investor)

ओवरहाइप्ड IPO में घाटे का खतरा।

कंपनी का फ्यूचर अनिश्चित।

 

8. एक Example से समझें – Zomato IPO

Issue Price: ₹76

Oversubscription: करीब 38 गुना।

Listing Price: ₹115 (लगभग 50% Listing Gain)

लेकिन, कुछ महीनों बाद शेयर ₹50 तक गिर गया।

सीख: सिर्फ लिस्टिंग गेन पर भरोसा मत करें, कंपनी का लॉन्ग-टर्म बिज़नेस मॉडल भी देखें।

 

9. IPO में निवेश करने से पहले क्या देखें?

1. कंपनी का बिज़नेस मॉडल → क्या ये लंबे समय तक टिक पाएगा?

2. Profitability → क्या कंपनी प्रॉफिट में है या घाटे में?

3. Debt Level → ज्यादा कर्ज वाली कंपनी रिस्की होती है।

4. Valuation → क्या शेयर की कीमत सही है या ज्यादा महंगी है?

5. मैनेजमेंट क्वालिटी → कंपनी के लीडर्स का ट्रैक रिकॉर्ड।

 

10. IPO का Simplified Flowchart

1. कंपनी को फंड चाहिए → IPO प्लान।

2. Merchant Banker → DRHP → SEBI Approval।

3. प्राइस तय → IPO ओपन → इन्वेस्टर्स Apply।

4. Allotment → शेयर लिस्ट → ट्रेडिंग शुरू।

 

➡️निष्कर्ष

IPO एक रोमांचक मौका हो सकता है — कंपनी के लिए भी और इन्वेस्टर्स के लिए भी।
लेकिन यह जल्दी अमीर बनने की मशीन नहीं है। IPO में कूदने से पहले कंपनी की असली ताकत, फाइनेंशियल हेल्थ और बिज़नेस मॉडल को समझना जरूरी है।

याद रखिए — मार्केट में हाइप तो बहुत होती है, लेकिन हकीकत में केवल सही रिसर्च ही आपके पैसे को सुरक्षित रख सकती है।

 

 

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