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Do 90% of people lose their money in the stock market? क्या 90% लोग शेयर बाजार में अपना पैसा खो देते हैं?

Do 90% of people lose their money in the stock market

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड  करता है शेयर बाजार को लेकर एक बहुत मशहूर लाइन है –
शेयर बाजार में 90% लोग पैसा खो देते हैं, 9% लोग ब्रेक-ईवन पर रहते हैं, और सिर्फ 1% लोग बड़ा मुनाफा कमाते हैं।”यह सुनकर नए निवेशकों का डर बढ़ जाता है। लेकिन क्या यह सच है? अगर सच है तो क्यों? और अगर झूठ है तो किस हद तक?

इस आर्टिकल में हम इसी सवाल का जवाब ढूंढेंगे – और साथ ही जानेंगे कि आप कैसे उस 1% या कम से कम टॉप 10% में आ सकते हैं।

1. यह 90% वाला आंकड़ा कहां से आया?

यह आंकड़ा किसी सरकारी रिपोर्ट में नहीं लिखा है, बल्कि यह एक अनुभव-आधारित आंकड़ा है।
ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग की दुनिया में यह देखा गया है कि लंबे समय में ज्यादातर लोग:

या तो अपना पैसा खो देते हैं,

या फिर बैंक FD से भी कम रिटर्न पाते हैं।

रिसर्च और ब्रोकर हाउसेज़ के इंटरनल डेटा बताते हैं कि डे-ट्रेडिंग में तो यह आंकड़ा 90% के करीब है, जबकि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग में नुकसान का प्रतिशत काफी कम होता है।

2. लोग शेयर बाजार में पैसा क्यों खोते हैं?

2.1 जल्दी अमीर बनने की चाह

कई लोग सोचते हैं कि शेयर बाजार “जल्दी अमीर बनने का रास्ता” है।
वो बड़े-बड़े यूट्यूब थंबनेल और सोशल मीडिया पोस्ट देखकर बिना तैयारी के कूद जाते हैं।

> “बिना तैरना सीखे गहरे पानी में कूदना, और फिर डूबना – यही कई लोगों का स्टॉक मार्केट अनुभव है।”

2.2 ज्ञान की कमी

ज्यादातर लोग बेसिक फाइनेंशियल नॉलेज के बिना इन्वेस्टिंग शुरू कर देते हैं।
उन्हें:

कंपनी का बिज़नेस मॉडल समझ में नहीं आता,

बैलेंस शीट पढ़ना नहीं आता,

और रिस्क मैनेजमेंट के बारे में जानकारी नहीं होती।

2.3 ओवरट्रेडिंग

ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म का आसान होना भी नुकसान की वजह बन गया है।
बस मोबाइल उठाओ, बटन दबाओ और ट्रेड लगाओ।
लेकिन ज्यादा ट्रेड करना (ओवरट्रेडिंग) का मतलब है ज्यादा ब्रोकरेज, ज्यादा रिस्क और ज्यादा गलतियां।

2.4 इमोशंस पर कंट्रोल न होना

शेयर बाजार में लोभ (Greed) और भय (Fear) सबसे बड़ी दुश्मन हैं।

शेयर ऊपर जा रहा है → लालच में ज्यादा खरीदना।

शेयर नीचे जा रहा है → डर में बेच देना।

2.5 टिप्स और अफवाहों पर भरोसा

“फला कंपनी में पैसा लगाओ, अगले हफ्ते डबल हो जाएगा!”
ऐसी सलाह सुनकर कई लोग अपना मेहनत का पैसा गंवा बैठते हैं।

3. क्या वाकई 90% लोग पैसा खोते हैं?

सच यह है कि:

शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग (इंट्राडे, F&O) में 80-90% लोग लॉस करते हैं।

लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग में यह आंकड़ा काफी कम है – लेकिन वहां भी सही स्ट्रेटेजी और डिसिप्लिन जरूरी है।

भारत के SEBI डेटा के अनुसार, F&O (Futures & Options) में 89% से ज्यादा लोग लॉस करते हैं।
लेकिन अगर आप SIP या लॉन्ग-टर्म स्टॉक्स में निवेश करते हैं, तो जीतने वालों की संख्या बहुत बढ़ जाती है।

4. नुकसान से बचने के लिए 7 सुनहरे नियम

4.1 शिक्षा में निवेश करें

पैसा लगाने से पहले ज्ञान में निवेश करें।
स्टॉक मार्केट के बेसिक्स, चार्ट्स, फंडामेंटल एनालिसिस और रिस्क मैनेजमेंट सीखें।

4.2 रिस्क मैनेजमेंट अपनाएं

कभी भी अपनी पूंजी का 2-5% से ज्यादा एक ट्रेड में रिस्क पर न लगाएं।
“पूंजी बची तो खेल जारी है।”

4.3 लॉन्ग-टर्म सोच रखें

अगर आप वॉरेन बफेट जैसे बनना चाहते हैं, तो शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग के बजाय लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टिंग अपनाएं।

4.4 इमोशंस पर कंट्रोल

एक ठंडे दिमाग से फैसला लें।
अगर आप लालच और डर से प्रभावित होंगे, तो घाटा पक्का है।

4.5 ओवरट्रेडिंग से बचें

कम ट्रेड, लेकिन क्वालिटी ट्रेड।
ज्यादा ट्रेड का मतलब ज्यादा गलती और ज्यादा खर्च।

4.6 टिप्स से दूरी

अपने खुद के रिसर्च के आधार पर निवेश करें, न कि किसी की अफवाह या व्हाट्सएप ग्रुप की सलाह पर।

4.7 डायवर्सिफिकेशन

सारा पैसा एक ही स्टॉक में न लगाएं।

5-10 अच्छे सेक्टर और कंपनियों में बैलेंस बनाएं।

 

5. 90% में नहीं, 10% में कैसे आएं?

अगर आप इन 5 आदतों को अपनाते हैं, तो आप धीरे-धीरे टॉप 10% में आ सकते हैं:

1. नियमित सीखना – मार्केट बदलता है, तो आपको भी बदलना होगा।

2. डिसिप्लिन – नियम तोड़ना मतलब पैसा खोना।

3. धैर्य – लॉन्ग-टर्म निवेशक ही सबसे ज्यादा फायदा कमाते हैं।

4. प्लान बनाना – बिना प्लान के निवेश, बिना नक्शे के सफर जैसा है।

5. रिस्क कंट्रोल – हर समय अपनी पूंजी को सुरक्षित रखना।

➡️ निष्कर्ष

“90% लोग शेयर बाजार में पैसा खो देते हैं” – यह बात ट्रेडिंग के लिए काफी हद तक सच है, लेकिन लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए पूरी तरह सही नहीं है।
अगर आप बिना तैयारी, बिना ज्ञान और सिर्फ लालच में ट्रेड करेंगे, तो आप भी 90% में होंगे।
लेकिन अगर आप शिक्षा, धैर्य, रिस्क मैनेजमेंट और डिसिप्लिन अपनाते हैं, तो आप उन चुनिंदा लोगों में आ सकते हैं जो शेयर बाजार से अमीर बनते हैं।

याद रखिए:
शेयर बाजार में अमीर बनने का रास्ता शॉर्टकट से नहीं, बल्कि स्मार्ट और धैर्यपूर्ण कदमों से जाता है।

 

 

 

शुरुआती लोगों के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग कैसे शुरू करें? How to start trading in stock market for beginners

How to start trading in stock market for beginners

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़ें

शुरुआती लोगों के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?

1. परिचय: शेयर बाजार क्या है?

शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं। जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के छोटे हिस्से के मालिक बन जाते हैं। शेयर की कीमत समय के साथ बढ़ भी सकती है और घट भी सकती है, और इसी उतार-चढ़ाव से आपको मुनाफा या घाटा होता है।

ट्रेडिंग में, आप शेयर को कम समय के लिए खरीदते और बेचते हैं, ताकि भाव के बदलाव से कमाई की जा सके। यह निवेश से अलग है, जहाँ लोग सालों तक शेयर होल्ड करते हैं।


2. ट्रेडिंग के प्रकार

ट्रेडिंग के कई तरीके हैं, लेकिन शुरुआती को पहले इन बेसिक टाइप्स को समझना चाहिए:

  1. इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
    • एक ही दिन में शेयर खरीदना और उसी दिन बेचना।
    • लक्ष्य: छोटे भाव के उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाना।
    • जोखिम: ज़्यादा, लेकिन प्रॉफिट भी तेज़ी से हो सकता है।
  2. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
    • कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक शेयर होल्ड करना।
    • टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर ट्रेंड पकड़ना।
  3. पोज़िशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
    • कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक शेयर होल्ड करना।
    • फंडामेंटल और टेक्निकल दोनों एनालिसिस का इस्तेमाल।

3. शेयर बाजार में शुरुआत के लिए ज़रूरी चीज़ें

शुरुआत करने के लिए आपको ये बेसिक स्टेप्स फॉलो करने होंगे:

3.1 डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना

  • डिमैट अकाउंट: आपके शेयर डिजिटल रूप में रखने के लिए।
  • ट्रेडिंग अकाउंट: शेयर खरीदने-बेचने के लिए।
  • ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स:
    • पैन कार्ड
    • आधार कार्ड
    • बैंक अकाउंट
    • पासपोर्ट साइज फोटो
  • कुछ लोकप्रिय ब्रोकर: Zerodha, Upstox, Angel One, Groww, Paytm Money आदि।

3.2 ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म चुनना

  • यूज़र-फ्रेंडली इंटरफेस
  • कम ब्रोकरेज चार्ज
  • अच्छे चार्ट और एनालिसिस टूल
  • मोबाइल ऐप सपोर्ट

4. शुरुआती के लिए जरूरी ट्रेडिंग टूल्स और बेसिक सीख

ट्रेडिंग शुरू करने से पहले ये टूल्स और कॉन्सेप्ट्स समझना ज़रूरी है:

4.1 टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis)

  • चार्ट पैटर्न
  • कैंडलस्टिक पैटर्न (जैसे Doji, Hammer, Engulfing)
  • सपोर्ट और रेसिस्टेंस

4.2 फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis)

  • कंपनी के फाइनेंशियल रिजल्ट
  • इंडस्ट्री की स्थिति
  • न्यूज़ और अपडेट

4.3 इंडिकेटर्स का इस्तेमाल

  • Moving Average (MA)
  • Relative Strength Index (RSI)
  • MACD

5. ट्रेडिंग शुरू करने के स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

स्टेप 1: सही ब्रोकर चुनें

ऐसा ब्रोकर चुनें जो आसान प्लेटफॉर्म, रिसर्च टूल्स और कम ब्रोकरेज देता हो।

स्टेप 2: डेमो या वर्चुअल ट्रेडिंग से शुरुआत

  • Moneybhai, TradingView जैसे प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल पैसे से ट्रेडिंग प्रैक्टिस करें।

स्टेप 3: छोटी राशि से शुरुआत

  • शुरुआत में ₹1000–₹5000 से स्टार्ट करें।
  • एक-दो स्टॉक्स पर फोकस रखें, ज्यादा में ना उलझें।

स्टेप 4: स्टॉप-लॉस लगाना

  • हमेशा ट्रेड में नुकसान को लिमिट करने के लिए स्टॉप-लॉस लगाएं।
  • उदाहरण: अगर आपने ₹100 का शेयर खरीदा और 5% का स्टॉप-लॉस लगाया, तो ₹95 पर आपका ऑटोमैटिक सेल हो जाएगा।

स्टेप 5: इमोशंस को कंट्रोल करें

  • लालच और डर से बचें।
  • डिसिप्लिन से ट्रेड करें, अंधाधुंध नहीं।

6. शुरुआती के लिए ट्रेडिंग टिप्स

  1. एक ही दिन में अमीर बनने का सपना ना देखें।
  2. न्यूज़ और मार्केट ट्रेंड पर नजर रखें।
  3. ट्रेडिंग जर्नल बनाएं — किस दिन, किस शेयर में, क्यों ट्रेड किया, और क्या रिजल्ट आया।
  4. लिक्विड स्टॉक्स चुनें — जिनमें रोज़ाना अच्छा वॉल्यूम हो।
  5. ओवरट्रेडिंग से बचें।

7. ट्रेडिंग में होने वाली आम गलतियाँ

  • बिना रिसर्च के ट्रेड करना
  • बिना स्टॉप-लॉस के काम करना
  • अफवाहों पर भरोसा करना
  • हर ट्रेड में बड़ी रकम लगाना
  • मार्केट में गिरावट आते ही घबरा जाना

8. रिस्क मैनेजमेंट

ट्रेडिंग में रिस्क कम करने के लिए:

  • एक ट्रेड में अपने कुल कैपिटल का 2–3% से ज्यादा रिस्क ना लें।
  • पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन रखें।
  • नुकसान होते ही रिवेंज ट्रेडिंग से बचें।

9. सीखने के सोर्स

  • YouTube चैनल: Trading Chanakya, CA Rachana Ranade, Pushkar Raj Thakur
  • बुक्स: “Technical Analysis of the Financial Markets” by John Murphy
  • वेबसाइट्स: Moneycontrol, Investing.com, NSE India

 

10.अगर आप चाहें तो मैं इसके साथ एक आसान इन्फोग्राफिक-स्टाइल “ट्रेडिंग स्टार्टिंग रोडमैप” भी बना सकता हूँ, ताकि नए लोग इसे एक पेज में समझ सकें।

हाँ, यह बढ़िया आइडिया है!
एक इन्फोग्राफिक-स्टाइल “ट्रेडिंग स्टार्टिंग रोडमैप” नए लोगों के लिए पूरा प्रोसेस विज़ुअल तरीके से आसान बना देगा।

मैं आपको इसे इस तरह तैयार कर सकता हूँ:


🛣 ट्रेडिंग स्टार्टिंग रोडमैप (Beginners के लिए)

स्टेप 1 – बेसिक नॉलेज

  • स्टॉक मार्केट क्या है?
  • शेयर, इंडेक्स, डिमैट, ब्रोकरेज जैसी बेसिक टर्म्स सीखें
  • 7-10 दिन का मिनी कोर्स/यूट्यूब वीडियोज़ देखें

स्टेप 2 – अकाउंट सेटअप

  • डिमैट + ट्रेडिंग अकाउंट खोलें
  • भरोसेमंद ब्रोकरेज (Zerodha, Groww, Angel One आदि) चुनें
  • KYC और बैंक लिंकिंग करें

स्टेप 3 – रिसर्च & प्लान

  • ट्रेडिंग का टाइम फ्रेम चुनें (इंट्राडे / स्विंग)
  • मार्केट टाइमिंग समझें
  • अपनी कैपिटल तय करें (केवल उतना ही लगाएं जितना खोने का रिस्क ले सकते हैं)

स्टेप 4 – डेमो प्रैक्टिस

  • पेपर ट्रेडिंग से शुरुआत
  • चार्ट और इंडिकेटर पढ़ने का अभ्यास
  • गलतियों से सीखें

स्टेप 5 – असली ट्रेडिंग

  • छोटे अमाउंट से शुरुआत
  • स्टॉप-लॉस लगाना जरूरी
  • लॉग बुक में हर ट्रेड का रिकॉर्ड रखें

स्टेप 6 – ग्रोथ & कंट्रोल

  • धीरे-धीरे कैपिटल बढ़ाएं
  • लगातार सीखते रहें
  • भावनाओं पर कंट्रोल रखें

➡️निष्कर्ष

शेयर बाजार में ट्रेडिंग रोमांचक है, लेकिन इसमें सफलता पाने के लिए धैर्य, अनुशासन और लगातार सीखने की आदत ज़रूरी है। शुरुआत में छोटी रकम से शुरुआत करें, हर ट्रेड से सीखें और धीरे-धीरे अपनी स्ट्रैटेजी को मजबूत बनाएं।

 
 

Stock Split क्या होता है?what is a stock split?

Stock Split क्या होता है?what is a stock split

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं Let’s  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़ें  आज इस लेख में स्टॉक split क्या हो ता है इसके बारे में विस्तार से पढगे

प्रस्तावना –

1.स्टॉक स्प्लिट क्यों चर्चा में रहता है?

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो आपने अक्सर ख़बरों में सुना होगा –कोई स्टॉक“XYZ कंपनी ने 1:5 के रेशियो में स्टॉक स्प्लिट का ऐलान किया”
ऐसी खबर सुनते ही कई निवेशकों के मन में सवाल आता है – “ये स्टॉक स्प्लिट होता क्या है? क्या इसमें मेरा फायदा होगा? क्या इससे शेयर का दाम घट जाएगा? या बढ़ जाएगा?”

सीधे शब्दों में कहें, तो स्टॉक स्प्लिट एक प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने शेयरों को छोटे हिस्सों में बाँट देती है, लेकिन आपके कुल निवेश का मूल्य (Total Investment Value) वही रहता है।

इसको आसान भाषा में समझने के लिए हम आगे एक मज़ेदार उदाहरण लेंगे, लेकिन पहले स्टॉक स्प्लिट की परिभाषा देखते हैं।


  1. स्टॉक स्प्लिट की परिभाषा

    (Definition of Stock Split)

स्टॉक स्प्लिट वह प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने जारी किए गए शेयरों की संख्या बढ़ा देती है, जबकि प्रत्येक शेयर का फेस वैल्यू (Face Value) घटा देती है।

📌 मुख्य बिंदु

आपके पास पहले जितनी वैल्यू का निवेश था, वही रहता है।

शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।

हर शेयर का प्राइस (Market Price) अनुपात में कम हो जाता है।

कंपनी का कुल मार्केट कैप (Market Capitalization) नहीं बदलता।


  1. एक आसान उदाहरण – पिज़्ज़ा वाला फंडा 🍕

मान लीजिए आपके पास एक पूरा पिज़्ज़ा है जिसकी कीमत ₹800 है।
अगर पिज़्ज़ा को 4 टुकड़ों में काटा गया है, तो एक टुकड़े की कीमत होगी ₹200।

अब अगर वही पिज़्ज़ा 8 टुकड़ों में काट दिया जाए, तो हर टुकड़े की कीमत ₹100 हो जाएगी।

➡ पिज़्ज़ा की कुल कीमत ₹800 ही रहेगी, बस टुकड़े ज़्यादा हो गए।

यही स्टॉक स्प्लिट है – आपके पास पहले कम संख्या में बड़े शेयर थे, अब ज्यादा संख्या में छोटे शेयर होंगे, लेकिन कुल निवेश वही रहेगा।


  1. स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है? (How Stock Split Works)

जब कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है, तो वह एक स्प्लिट रेशियो (Split Ratio) घोषित करती है, जैसे:

1:2 → हर 1 शेयर के बदले आपको 2 शेयर मिलेंगे।

1:5 → हर 1 शेयर के बदले आपको 5 शेयर मिलेंगे।

उदाहरण:
मान लीजिए आपके पास XYZ कंपनी के 10 शेयर हैं, हर शेयर की कीमत ₹1,000 है।

कुल निवेश मूल्य: 10 × ₹1,000 = ₹10,000

अगर कंपनी 1:5 स्टॉक स्प्लिट करती है, तो –

आपके 10 शेयर × 5 = 50 शेयर हो जाएंगे।

नए शेयर का दाम ₹1,000 ÷ 5 = ₹200 हो जाएगा।

नया निवेश मूल्य: 50 × ₹200 = ₹10,000
(यानी कुल वैल्यू में कोई बदलाव नहीं)


  1. स्टॉक स्प्लिट करने के कारण (Why Companies Do Stock Split)

कंपनी कई वजहों से स्टॉक स्प्लिट करती है:

5.1 शेयर को निवेशकों के लिए सस्ता बनाना

जब किसी कंपनी का शेयर बहुत महंगा हो जाता है (जैसे ₹5,000, ₹10,000), तो नए और छोटे निवेशकों के लिए खरीदना मुश्किल हो जाता है।
स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर का दाम घट जाता है, जिससे ज्यादा लोग निवेश कर पाते हैं।

5.2 मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाना

कम प्राइस पर ज्यादा निवेशक आसानी से खरीद-बिक्री कर सकते हैं, जिससे शेयर का ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी बढ़ती है।

5.3 पब्लिक इमेज और निवेशक आकर्षण

कंपनी का सस्ता और ज्यादा उपलब्ध शेयर निवेशकों को आकर्षित करता है, जिससे लंबे समय में शेयर की डिमांड बढ़ सकती है।


  1. स्टॉक स्प्लिट के प्रकार (Types of Stock Split)

  2. फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट (Forward Stock Split)

यह सबसे आम प्रकार है।

कंपनी शेयरों की संख्या बढ़ाती है और प्राइस घटाती है।

उदाहरण: 1:5 स्प्लिट – 1 शेयर के बदले 5 शेयर।

  1. रिवर्स स्टॉक स्प्लिट (Reverse Stock Split)

इसमें कंपनी शेयरों की संख्या घटाती है और प्राइस बढ़ाती है।

उदाहरण: 5:1 रिवर्स स्प्लिट – 5 शेयर को मिलाकर 1 शेयर बना दिया जाता है।

आमतौर पर तब किया जाता है जब शेयर का प्राइस बहुत गिर गया हो और कंपनी उसे बढ़ाकर आकर्षक बनाना चाहती है।


  1. स्टॉक स्प्लिट का निवेशकों परअसर (Impact on Investors)

7.1 सकारात्मक असर

शेयर सस्ता होने पर ज्यादा लोग खरीद सकते हैं।

लिक्विडिटी बढ़ती है, जिससे खरीद-बिक्री आसान होती है।

कंपनी का पब्लिक इमेज सुधर सकता है।

7.2 नकारात्मक या न्यूट्रल असर

असल में आपके निवेश की वैल्यू नहीं बढ़ती, सिर्फ शेयरों की संख्या बढ़ती है।

कभी-कभी सस्ता होने के बाद ज्यादा सट्टेबाजी (Speculation) शुरू हो जाती है, जिससे वोलैटिलिटी बढ़ सकती है।


  1. स्टॉक स्प्लिट बनाम बोनस शेयर (Stock Split vs Bonus Share)

बिंदु स्टॉक स्प्लिट बोनस शेयर

परिभाषा शेयर को छोटे हिस्सों में बाँटना अतिरिक्त मुफ्त शेयर देना
निवेश मूल्य वही रहता है निवेश मूल्य बढ़ सकता है
शेयर प्राइस अनुपात में घटता है घट सकता है या वैसा ही रह सकता है
फेस वैल्यू घट जाती है वैसी ही रहती है
उद्देश्य शेयर को सस्ता और लिक्विड बनाना निवेशकों को रिवॉर्ड देना


  1. भारत में स्टॉक स्प्लिट के कुछ उदाहरण

  2. रिलायंस इंडस्ट्रीज – 2017 में 1:10 स्प्लिट
  3. इन्फोसिस – 2018 में 1:2 स्प्लिट
  4. टीसीएस (TCS) – 2018 में 1:2 स्प्लिट
  5. एशियन पेंट्स – 2003 और 2013 में स्प्लिट

  1. निवेशक के लिए स्टॉक स्प्लिट का महत्व

अगर आप निवेशक हैं, तो स्टॉक स्प्लिट आपके लिए मुख्य रूप से दो चीजें बदलता है:

आपके पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।

प्रति शेयर कीमत घट जाती है, जिससे ट्रेडिंग आसान होती है।

लेकिन ध्यान रखें:

स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के फंडामेंटल्स (Profit, Revenue, Business Model) में कोई बदलाव नहीं होता।

यह सिर्फ तकनीकी (Technical) परिवर्तन है।

असली फायदा तभी होगा अगर कंपनी का बिज़नेस मजबूत हो और वह लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन करे।

निष्कर्ष

  1.  

स्टॉक स्प्लिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने शेयरों को छोटे हिस्सों में बाँटकर निवेशकों के लिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध बना देती है।
यह निवेशकों को सीधे तौर पर फायदा नहीं देता, लेकिन मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाता है और छोटे निवेशकों के लिए कंपनी का शेयर खरीदना आसान बना देता है।

यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो स्टॉक स्प्लिट को कंपनी के अच्छे प्रदर्शन के संकेत के रूप में देख सकते हैं, लेकिन सिर्फ इसी आधार पर निवेश का निर्णय लेना सही नहीं होगा।


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How to invest in compounding चक्रवृद्धि ब्याज में निवेश कैसे करें

How to invest in compounding

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड  करता है सोशल मीडिया औरऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़ें क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे-छोटे निवेश से भी करोड़ों की संपत्ति बनाई जा सकती है? अगर हां, तो इसका जवाब है — चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest)। ये कोई जादू नहीं है, बल्कि समय, धैर्य और स्मार्ट निवेश की ताकत है।

इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि चक्रवृद्धि ब्याज क्या होता है? ये कैसे काम करता है? इसमें निवेश कैसे करें? किन माध्यमों से अधिक लाभ मिल सकता है? और कैसे एक आम व्यक्ति भी करोड़पति बन सकता है?

🔍 1. चक्रवृद्धि ब्याज क्या है?

चक्रवृद्धि ब्याज यानी “ब्याज पर भी ब्याज”। इसका मतलब है, अगर आपने ₹10,000 निवेश किए और सालाना 10% ब्याज मिल रहा है, तो पहले साल आपको ₹1,000 ब्याज मिलेगा।
अब दूसरे साल आपको ब्याज ₹11,000 पर मिलेगा, यानी ₹1,100।
तीसरे साल ₹12,100 पर ब्याज मिलेगा, यानी ₹1,210 और ऐसे ही यह बढ़ता रहेगा।

यही है चक्रवृद्धि की ताकत — ब्याज से ब्याज कमाना।

🧠 2. चक्रवृद्धि कैसे काम करता है? (How Compounding Works?)

चक्रवृद्धि ब्याज में तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं:

तत्व क्यों जरूरी है?

⏳ समय (Time) जितना अधिक समय, उतनी अधिक वृद्धि
💸 दर (Rate) ब्याज की दर जितनी ज्यादा, उतना लाभ
🔁 पुनर्निवेश (Reinvestment) ब्याज को निकालें नहीं, दोबारा निवेश करें

चक्रवृद्धि का फॉर्मूला:

A = P (1 + r/n) ^ nt

जहाँ

A = कुल भविष्य की राशि

P = प्रारंभिक निवेश (Principal)

r = ब्याज दर (rate of interest)

n = साल में ब्याज कितनी बार जुड़ता है

t = कुल समय (वर्षों में)

🧮 3. उदाहरण से समझें चक्रवृद्धि की शक्ति

मान लीजिए आप ₹5,000 हर महीने 12% सालाना ब्याज दर पर 20 साल तक निवेश करते हैं।

कुल निवेश = ₹5,000 × 12 × 20 = ₹12,00,000

कुल रिटर्न = ₹50+ लाख से भी ज्यादा (SIP calculator के अनुसार)

यानि 12 लाख का निवेश आपको 50 लाख से ज्यादा बना सकता है — सिर्फ चक्रवृद्धि की मदद से!

💼 4. चक्रवृद्धि में निवेश कैसे करें? (How to Start Investing in Compounding)

✅ 1. SIP (Systematic Investment Plan)

क्या है: म्यूचुअल फंड में हर महीने एक तय राशि निवेश करना

क्यों बेहतर: लंबी अवधि में शानदार कंपाउंडिंग रिटर्न

फायदा: ₹500 से शुरुआत संभव

उदाहरण: अगर आप ₹2000 महीने का SIP 15 वर्षों तक करते हैं, 12% ब्याज के साथ, तो ₹3.6 लाख का निवेश ₹10 लाख से ज्यादा हो सकता है।

✅ 2. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

सरकारी योजना, 15 साल का लॉक-इन

ब्याज दर लगभग 7-8% सालाना (टैक्स फ्री)

चक्रवृद्धि दर: सालाना कंपाउंडिंग

उदाहरण: ₹1.5 लाख सालाना 15 साल तक निवेश करने पर ₹40+ लाख की राशि बन सकती है।

✅ 3. स्टॉक मार्केट में दीर्घकालिक निवेश

अगर आप अच्छी कंपनियों में लंबे समय तक निवेश करते हैं,

और डिविडेंड को दोबारा निवेश करते हैं,

तो चक्रवृद्धि का जबरदस्त लाभ मिलता है।

Warren Buffett ने यही तरीका अपनाया था — लंबी अवधि, सही कंपनियाँ, और धैर्य।

✅ 4. गोल्ड SIP / ETF

सोने में निवेश, पर डिजिटल रूप में

नियमित निवेश → कंपाउंडिंग रिटर्न

✅ 5. रिटायरमेंट प्लान / NPS (National Pension Scheme)

हर महीने राशि निवेश करें

ब्याज पर ब्याज मिलता है

रिटायरमेंट तक अच्छा फंड तैयार

✅ 6. Recurring Deposit (RD) और FD (With Compound Interest)

कुछ बैंक क्वार्टरली या मंथली कंपाउंडिंग देते हैं

सुरक्षित लेकिन रिटर्न सीमित

📋 5. कंपाउंडिंग के नियम और मंत्र (Golden Rules of Compounding)

नियम विवरण

📅 जल्दी शुरुआत करें जितना जल्दी शुरू करेंगे, उतना ज्यादा फायदा
🔁 ब्याज दोबारा निवेश करें पैसा बीच में न निकालें
🧘‍♂️ धैर्य रखें चमत्कार 10 साल बाद दिखने लगता है
🧠 समझदारी से निवेश करें SIP, PPF, Stock, Gold जैसे विकल्प चुनें
📊 कंपाउंडिंग कैलकुलेटर का उपयोग करें रिटर्न समझने और प्लानिंग के लिए

📆 6. कंपाउंडिंग का असली असर कब दिखता है?

पहले 5 साल: धीमी वृद्धि
5-10 साल: रफ्तार पकड़ना शुरू
10-20 साल: धनवर्षा शुरू!
20+ साल: करोड़पति बनने की शुरुआत!

इसलिए कहावत है

> “Compounding is the reward for the patient investor.”

📈 7. चक्रवृद्धि कैलकुलेटर कैसे चलाएं?

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि भविष्य में कितना पैसा बनेगा, तो ऑनलाइन SIP Calculator या Compound Interest Calculator का उपयोग करें।

आपको चाहिए:

मासिक निवेश राशि

ब्याज दर

समयावधि

उदाहरण
₹3000/महीना, 12% ब्याज, 20 साल
➡ ₹21.6 लाख का निवेश
➡ ₹50 लाख से अधिक रिटर्न

💡 8. छात्रों और युवाओं के लिए खास सुझाव:

सुझाव कारण

कॉलेज से ही SIP शुरू करें ₹500 से भी शुरुआत संभव है
खर्च का 10% निवेश करें आदत में लाएं
सालों तक जारी रखें कंपाउंडिंग का असली जादू लंबी अवधि में है

🤔 9. आम गलतियाँ जो लोगों को बचानी चाहिए:

❌ केवल ब्याज दर देखकर निवेश न करें
❌ बार-बार पैसा निकालना
❌ बहुत कम समय के लिए निवेश करना
❌ बिना योजना के निवेश करना
❌ केवल FD में ही भरोसा करना

यह कुछ इंपॉर्टेंट जानकारी मेरे तरफ से था और भी अधिक जानकारी के लिए नीचे लेख दिया गया है

🏁 निष्कर्ष

चक्रवृद्धि ब्याज एक ऐसा जादू है जो समय, संयम और सही रणनीति के साथ आपके जीवन को आर्थिक रूप से बदल सकता है। अगर आपने आज ₹100 भी निवेश किया, तो वो आने वाले वर्षों में लाखों में बदल सकता है — बशर्ते आप उसे समय दें और दोबारा निवेश करते रहें।

“पैसे को काम पर लगाओ, ताकि एक दिन तुम्हें काम करने की ज़रूरत न पड़े।”

✨ अंत में एक मंत्र याद रखें

“जल्दी शुरू करें, नियमित निवेश करें, धैर्य रखें – चक्रवृद्धि को अपना काम करने दें।

अगर आप चाहें, तो मैं आपको एक पर्सनल कंपाउंडिंग प्लान बना सकता हूँ जिसमें आपकी उम्र, इनकम और गोल्स के अनुसार SIP, निवेश और टारगेट बताए जाएंगे। बताइए अगर आपको चाहिए।

 
 

 

Best indicator for Option trading Bank Nifty ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ संकेतक बैंक निफ्टी

Best indicator for Option trading Bank Nifty

Hi  फ्रेंड्स  InvestingSetup  मैं आपका  स्वागत है आज के समय में ऑनलाइन  अर्निंग का  बहुत साधन है उसी में से एक ऑप्शन ट्रेडिंग भी है और ट्रेड करने के लिए उसमें इंडिकेटर का जरूरत पड़ता है इस लेख में वही सिखाने वाले हैं कि बैंक निफ्टी (Bank Nifty) भारत के प्रमुख बैंकिंग शेयरों का इंडेक्स है, जिसमें देश के टॉप 12 बैंक शामिल होते हैं। यह इंडेक्स न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत को दर्शाता है, बल्कि ट्रेडर्स के लिए सबसे लोकप्रिय और वोलैटाइल विकल्प भी है।

ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) एक प्रकार की डेरिवेटिव ट्रेडिंग है जिसमें आप किसी स्टॉक या इंडेक्स के भावों में उतार-चढ़ाव पर दांव लगाते हैं। चूंकि बैंक निफ्टी अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाला है, इसलिए इसमें सटीक संकेतक (Indicators) का उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सबसे बेहतरीन संकेतक (Best Indicators) कौन-कौन से हैं, उन्हें कैसे इस्तेमाल किया जाता है, और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

1. ऑप्शन ट्रेडिंग में संकेतक (Indicators) का महत्व

संकेतक ऐसे टूल्स होते हैं जो आपको यह समझने में मदद करते हैं कि

बाजार की दिशा क्या है?

कौन-सी एंट्री या एग्जिट पोजीशन लेना सही रहेगा?

कौन-सी स्ट्रैटेजी काम करेगी — Call या Put?

ट्रेंड की ताकत कितनी है?

बिना संकेतकों के ट्रेडिंग करना ऐसा है जैसे बिना नक्शे के यात्रा करना।

✅ बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ संकेतक

नीचे दिए गए संकेतक बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाते हैं:

1. VWAP (Volume Weighted Average Price)

VWAP ट्रेडिंग में यह जानने का सबसे विश्वसनीय संकेतक है कि संस्थागत निवेशक किस स्तर पर खरीद-बिक्री कर रहे हैं।

अगर प्राइस VWAP के ऊपर है → बुलिश (Call ऑप्शन पर विचार करें)

अगर प्राइस VWAP के नीचे है → बेयरिश (Put ऑप्शन पर विचार करें)

उपयोग कैसे करें?

VWAP को 5-मिनट या 15-मिनट के चार्ट पर लगाएं।

प्राइस और VWAP के बीच की दूरी को देख कर ट्रेंड की ताकत का अंदाजा लगाएं।

2. RSI (Relative Strength Index)

RSI यह बताता है कि बाजार ओवरबॉट (Overbought) है या ओवरसोल्ड (Oversold)।
बैंक निफ्टी ऑप्शन में यह रिवर्सल के समय काम आता है।

RSI > 70 → ओवरबॉट → गिरावट संभव (Put ऑप्शन)

RSI < 30 → ओवरसोल्ड → उछाल संभव (Call ऑप्शन)

टिप्स

5 या 15 मिनट के चार्ट पर RSI देखिए।

RSI के साथ MACD या VWAP को जोड़कर ट्रेड और मजबूत बना सकते हैं।

3. Open Interest (OI) + Option Chain Data

यह संकेतक ऑप्शन मार्केट की “भीतर की खबर” बताता है।
OI से पता चलता है कि बाजार में पैसा कहां लग रहा है।

Call OI बढ़ रहा है → रेसिस्टेंस स्ट्रॉन्ग है

Put OI बढ़ रहा है → सपोर्ट स्ट्रॉन्ग है

उदाहरण
अगर बैंक निफ्टी 48000 पर है और 48500 की कॉल में भारी OI है, तो वहां से गिरावट आ सकती है।

4. Supertrend Indicator

Supertrend एक ट्रेंड-फॉलोइंग संकेतक है, जो Buy और Sell के लिए सटीक एंट्री पॉइंट देता है।

Price Supertrend से ऊपर → Buy Signal (Call)

Price Supertrend से नीचे → Sell Signal (Put)

सेटिंग सुझाव

Period: 10

Multiplier: 3

यह संकेतक उन लोगों के लिए अच्छा है जो आसान सिग्नल ढूंढ़ते हैं।

5. Moving Averages (EMA – Exponential Moving Average)

बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग में EMA बहुत फायदेमंद होता है, खासकर

9 EMA और 21 EMA का क्रॉसओवर देखकर।

जब 9 EMA, 21 EMA को ऊपर से काटे → डाउन ट्रेंड (Put)

जब 9 EMA, 21 EMA को नीचे से काटे → अपट्रेंड (Call)

Intraday में सुझाव
5min या 15min टाइमफ्रेम में 9 EMA और 21 EMA ट्रेंड कनफर्मेशन के लिए देखें।

6. MACD (Moving Average Convergence Divergence)

MACD आपको ट्रेंड और मोमेंटम दोनों की जानकारी देता है।

जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को काटती है और ऊपर जाती है → Buy (Call)

जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को काटती है और नीचे जाती है → Sell (Put)

MACD RSI या EMA के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से बहुत अच्छे रिजल्ट मिलते हैं।

7. Bollinger Bands

बोलिंजर बैंड से आप जान सकते हैं कि बाजार कितनी वोलाटाइल है।

प्राइस जब अपर बैंड को छूए → रिवर्सल संभव (Put)

प्राइस जब लोअर बैंड को छूए → बाउंसबैक संभव (Call)

बैंक निफ्टी जैसे वोलाटाइल इंडेक्स के लिए यह बहुत उपयोगी है।

📊 बेस्ट इंडिकेटर्स कॉम्बिनेशन बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए

उद्देश्य संकेतकों का कॉम्बो

ट्रेंड पकड़ना VWAP + Supertrend
मोमेंटम चेक करना RSI + MACD
एंट्री/एग्जिट सिग्नल EMA (9, 21) + VWAP
सपोर्ट/रेजिस्टेंस OI Data + Option Chain + Bollinger Bands

⚠️ क्या ध्यान रखें: संकेतक सही काम करें, इसके लिए टिप्स

1. एक से अधिक संकेतक का इस्तेमाल करें — अकेला कोई भी संकेतक भरोसेमंद नहीं होता।

2. Backtest करें — हर संकेतक को लाइव ट्रेडिंग से पहले जरूर टेस्ट करें।

3. टाइमफ्रेम चुनें समझदारी से — 5-15 मिनट बैंक निफ्टी के लिए बेस्ट।

4. न्यूज़ और इवेंट्स का ध्यान रखें — RBI नीति, बजट या ग्लोबल इवेंट्स संकेतकों को फेल कर सकते हैं।

5. False Signals से बचें — संकेतक की पुष्टि दूसरे टूल्स से करें।

 

🧠 एक सच्चे ऑप्शन ट्रेडर की मानसिकता

1. संकेतक गाइड करते हैं, लेकिन निर्णय आपका होता है।

2. हर ट्रेड में Risk Management जरूरी है।

3. स्टॉपलॉस और टारगेट पहले से तय करें।

4. लालच और डर को साइड में रखें — ट्रेड लॉजिक से करें।

🔚 निष्कर्ष↙️

कौन-सा संकेतक सबसे अच्छा है?

सच्चाई यह है कि कोई एक “बेस्ट” संकेतक नहीं है, बल्कि सबसे अच्छा वही है जो:

आपके ट्रेडिंग स्टाइल से मेल खाता है,

आपने बैकटेस्ट किया है,

और जिसे आप कंसिस्टेंटली समझकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

बैंक निफ्टी ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए VWAP, RSI, और OI डेटा का कॉम्बो सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है। लेकिन यदि आप डे ट्रेडर हैं तो EMA + Supertrend + VWAP एक पावरफुल कॉम्बिनेशन हो सकता है।