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IPO कैसे काम करता है? How does an IPO work?

IPO कैसे काम करता है? How does an IPO work?

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़े. आज इस आर्टिकल में IPO कैसे काम करता है? | How Does an IPO Work?

1. IPO का मतलब क्या है?

IPO यानी Initial Public Offering, वह प्रक्रिया है जिसमें एक प्राइवेट कंपनी पहली बार आम जनता (Public Investors) को अपने शेयर बेचती है।

Private Company → सिर्फ फाउंडर, शुरुआती इन्वेस्टर्स और कुछ बड़े प्राइवेट इन्वेस्टर्स के पास शेयर होते हैं।

Public Company → अब कोई भी इन्वेस्टर शेयर खरीद सकता है (स्टॉक एक्सचेंज के जरिए)।

सीधे शब्दों में — IPO का मतलब है कंपनी का “पब्लिक” हो जाना।

 

2. कंपनी को IPO की ज़रूरत क्यों होती है?

किसी भी कंपनी के IPO लाने के पीछे कुछ बड़े कारण होते हैं:

1. पैसा जुटाना → बिज़नेस को बढ़ाने, नए प्रोजेक्ट शुरू करने, कर्ज चुकाने या टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने के लिए।

2. ब्रांड वैल्यू बढ़ाना → पब्लिक कंपनी बनने से मार्केट में विश्वास और पहचान बढ़ती है।

3. पुराने इन्वेस्टर्स को Exit देना → जो इन्वेस्टर्स पहले कंपनी में पैसा लगा चुके हैं, वो अब पब्लिक मार्केट में शेयर बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हैं।

4. कर्मचारियों के लिए शेयर बेनिफिट → ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के जरिए।

 

3. IPO लाने से पहले कंपनी की तैयारी

IPO सिर्फ “शेयर बेचने” का काम नहीं है — यह एक लंबी और नियमों से भरी प्रक्रिया है।
यहाँ कंपनी को कुछ बड़े स्टेप्स लेने पड़ते हैं:

a. Merchant Banker/Underwriter चुनना

कंपनी Merchant Banker या Investment Bank हायर करती है (जैसे ICICI Securities, Kotak Mahindra Capital आदि)

इनका काम होता है IPO की पूरी प्लानिंग, वैल्यूएशन और मार्केटिंग करना।

b. Due Diligence और Paperwork

कंपनी का पूरा वित्तीय रिकॉर्ड, लीगल डॉक्यूमेंट्स, बिज़नेस मॉडल और रिस्क फैक्टर्स चेक किए जाते हैं।

इसका मकसद है यह दिखाना कि कंपनी निवेश करने लायक है।

c. DRHP बनाना (Draft Red Herring Prospectus)

DRHP एक बड़ा डॉक्यूमेंट है जिसे SEBI (Securities and Exchange Board of India) के पास जमा किया जाता है।

इसमें कंपनी का इतिहास, मैनेजमेंट, बिज़नेस प्लान, फाइनेंशियल रिपोर्ट्स और रिस्क डिटेल्स होते हैं।

 

4. IPO का Approval और Pricing Process

a. SEBI Approval

DRHP देखने के बाद SEBI सवाल पूछ सकता है और बदलाव करने को कह सकता है।

जब सब क्लियर हो जाता है, तो IPO को ग्रीन सिग्नल मिल जाता है।

b. Pricing Method

IPO दो तरीकों से प्राइस किया जा सकता है:

1. Fixed Price Issue → पहले से तय कीमत पर शेयर बेचना।

2. Book Building Issue → प्राइस रेंज तय की जाती है, इन्वेस्टर्स अपनी बोली (bid) लगाते हैं और फिर फाइनल प्राइस निकलता है।

 

5. IPO का Allotment Process (शेयर कैसे मिलते हैं)

a. IPO ओपन होना

IPO आमतौर पर 3 से 5 दिन खुला रहता है।

इस दौरान इन्वेस्टर्स (Retail, QIB, HNI) अप्लाई कर सकते हैं।

b. Investor Categories

1. Retail Individual Investor (RII) → आम लोग, जिनका इन्वेस्टमेंट ₹2 लाख तक हो सकता है।

2. Qualified Institutional Buyer (QIB) → म्यूचुअल फंड, बैंक्स, इंश्योरेंस कंपनियां।

3. High Networth Individual (HNI) → ₹2 लाख से ऊपर लगाने वाले इन्वेस्टर्स।

 

c. Oversubscription Case

अगर किसी IPO में मांग ज्यादा और शेयर कम हैं, तो शेयर लॉटरी सिस्टम से अलॉट होते हैं।

d. Allotment & Refund

IPO क्लोज होने के 1 हफ्ते में अलॉटमेंट हो जाता है।

जिन्हें शेयर नहीं मिलते, उनका पैसा वापस कर दिया जाता है।

 

6. स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग

IPO पूरा होने के बाद शेयर NSE और BSE पर लिस्ट होते हैं।

Listing Day पर मार्केट डिमांड के हिसाब से शेयर का ओपनिंग प्राइस तय होता है।

अगर डिमांड ज्यादा है → शेयर प्रीमियम पर खुलेगा (Listing Gain)

अगर डिमांड कम है → शेयर डिस्काउंट पर खुल सकता है (Loss)

 

7. IPO के फायदे और नुकसान

फायदे (For Company)

बड़ा फंड जुटाना।

पब्लिक इमेज और ट्रस्ट बढ़ना।

पुरानों इन्वेस्टर्स को Exit।

नुकसान (For Company)

पब्लिक और SEBI के नियमों का पालन करना जरूरी।

हर क्वार्टर रिजल्ट पब्लिक करना।

शेयर प्राइस गिरने पर नेगेटिव पब्लिसिटी।

फायदे (For Investor)

शुरुआती स्टेज पर अच्छे बिज़नेस में निवेश का मौका।

Listing Gains से जल्दी प्रॉफिट।

नुकसान (For Investor)

ओवरहाइप्ड IPO में घाटे का खतरा।

कंपनी का फ्यूचर अनिश्चित।

 

8. एक Example से समझें – Zomato IPO

Issue Price: ₹76

Oversubscription: करीब 38 गुना।

Listing Price: ₹115 (लगभग 50% Listing Gain)

लेकिन, कुछ महीनों बाद शेयर ₹50 तक गिर गया।

सीख: सिर्फ लिस्टिंग गेन पर भरोसा मत करें, कंपनी का लॉन्ग-टर्म बिज़नेस मॉडल भी देखें।

 

9. IPO में निवेश करने से पहले क्या देखें?

1. कंपनी का बिज़नेस मॉडल → क्या ये लंबे समय तक टिक पाएगा?

2. Profitability → क्या कंपनी प्रॉफिट में है या घाटे में?

3. Debt Level → ज्यादा कर्ज वाली कंपनी रिस्की होती है।

4. Valuation → क्या शेयर की कीमत सही है या ज्यादा महंगी है?

5. मैनेजमेंट क्वालिटी → कंपनी के लीडर्स का ट्रैक रिकॉर्ड।

 

10. IPO का Simplified Flowchart

1. कंपनी को फंड चाहिए → IPO प्लान।

2. Merchant Banker → DRHP → SEBI Approval।

3. प्राइस तय → IPO ओपन → इन्वेस्टर्स Apply।

4. Allotment → शेयर लिस्ट → ट्रेडिंग शुरू।

 

➡️निष्कर्ष

IPO एक रोमांचक मौका हो सकता है — कंपनी के लिए भी और इन्वेस्टर्स के लिए भी।
लेकिन यह जल्दी अमीर बनने की मशीन नहीं है। IPO में कूदने से पहले कंपनी की असली ताकत, फाइनेंशियल हेल्थ और बिज़नेस मॉडल को समझना जरूरी है।

याद रखिए — मार्केट में हाइप तो बहुत होती है, लेकिन हकीकत में केवल सही रिसर्च ही आपके पैसे को सुरक्षित रख सकती है।

 

 

स्टॉक मार्केट की हकीकत क्या है What is the reality of the stock market

स्टॉक मार्केट की हकीकत क्या है What is the reality of the stock market

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | बहुत सारे लोग इस स्टॉक मार्केट को सिर्फ सत्ता या जुआ समझ कर के इस पर फोकस नहीं  करते  और यह वही लोग होते हैं जो सीखना नहीं चाहते हैं और अगर सीखेंगे  तो आधा अधूरा इसी काम नॉलेज कम इनफॉरमेशन की वजह से इसमें सक्सेस नहीं होते.और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़े स्टॉक मार्केट की हकीकत – सपनों से सच्चाई तक की यात्रा .अगर आपने कभी सोशल मीडिया पर स्टॉक मार्केट से जुड़े वीडियो देखे हैं, तो आपने जरूर सुना होगा – “स्टॉक मार्केट से महीने में लाखों कमाओ”बस एक ट्रिक अपनाओ और अमीर बन जाओ” लेकिन, क्या हकीकत सच में इतनी आसान है? स्टॉक मार्केट की सच्चाई उतनी ही रोचक है जितनी कि एक फिल्म की कहानी – जिसमें कभी-कभी हीरो जीतता है और कभी खलनायक (नुकसान) हावी हो जाता है।

चलिए इस आर्टिकल में हम जानेंगे स्टॉक मार्केट की असली तस्वीर, ताकि आपको बिना किसी भ्रम के सही नजरिया मिले।

1. स्टॉक मार्केट क्या है – एक छोटा रिफ्रेशर

स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं।
यह दो मुख्य हिस्सों में बंटा होता है:

1. प्राइमरी मार्केट – जहां कंपनी पहली बार शेयर बेचती है (IPO)।

2. सेकेंडरी मार्केट – जहां लोग आपस में शेयर खरीदते-बेचते हैं (जैसे NSE, BSE)।

 

यह कोई जुआ घर नहीं है, बल्कि इकोनॉमी का दिल है, जहां पैसों का फ्लो कंपनियों और निवेशकों के बीच होता है।

2. स्टॉक मार्केट की आम गलतफहमियां

लोगों के मन में स्टॉक मार्केट को लेकर कई मिथक हैं, जिनमें से कुछ सबसे पॉपुलर ये हैं:

“यह सिर्फ अमीरों का खेल है”
सच: कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी आमदनी कम हो, निवेश कर सकता है।

“यह सिर्फ किस्मत का खेल है”
सच: शॉर्ट टर्म में थोड़ी किस्मत का रोल होता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह ज्ञान, रिसर्च और धैर्य पर चलता है।

“एक बार सही शेयर खरीद लिया तो रातों-रात करोड़पति”
सच: ऐसे किस्से होते हैं, लेकिन वे अपवाद हैं। ज्यादातर लोगों की सफलता सालों की मेहनत का नतीजा है।

3. हकीकत #1 – यहां जल्दी अमीर बनने का शॉर्टकट नहीं है

कई लोग मार्केट में आते ही उम्मीद करते हैं कि महीने-दो महीने में वे बड़ी रकम बना लेंगे।
असल में:

शॉर्ट टर्म में – उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) ज्यादा होता है।

लॉन्ग टर्म में – सही कंपनियों में निवेश से स्थिर रिटर्न मिलता है।

👉 अगर आप ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो सीखना, प्लान बनाना और रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है।
👉 अगर आप निवेश कर रहे हैं, तो धैर्य और सही कंपनी का चुनाव सबसे बड़ा हथियार है।

4. हकीकत #2 – 90% लोग यहां पैसा खोते हैं

एक रिसर्च के अनुसार, लगभग 90% नए ट्रेडर्स अपना पैसा खो देते हैं। वजहें:

बिना सीखे ट्रेड करना

टिप्स और अफवाहों पर भरोसा

लालच और डर के आधार पर फैसले

स्टॉप लॉस का इस्तेमाल न करना

सीख: अगर आप रिसर्च नहीं करते, तो आप उस 90% में आ जाएंगे।

5. हकीकत #3 – मार्केट आपको धैर्य का असली मतलब सिखाएगा

अगर आपने 1-2 साल के लिए अच्छे शेयर लिए हैं, तो हो सकता है कि आपको बीच में नुकसान दिखे।

लेकिन जो लोग 5-10 साल तक अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश रखते हैं, वे ज्यादातर अच्छा मुनाफा कमाते हैं।

उदाहरण:
अगर किसी ने 2010 में HDFC Bank, TCS या Infosys खरीदी होती, तो आज उसका निवेश कई गुना हो चुका होता।

6. हकीकत #4 – मार्केट इमोशंस से नहीं, डेटा से चलता है

मार्केट में सबसे बड़ा दुश्मन आपका खुद का दिमाग हो सकता है।
लालच, डर और ओवरकॉन्फिडेंस से लोग गलतियां करते हैं।

👉 सफल लोग क्या करते हैं?

चार्ट्स और डेटा देखते हैं

कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझते हैं

ट्रेंड्स को पहचानते हैं

भावनाओं को कंट्रोल करते हैं

7. फायदे – अगर आप सही तरीके से खेलें

पैसिव इनकम – डिविडेंड्स और ग्रोथ से।

महंगाई से बचाव – लॉन्ग टर्म में रिटर्न महंगाई से ज्यादा होते हैं।

वित्तीय स्वतंत्रता – सही निवेश आपको फाइनेंशियल फ्रीडम दिला सकता है।

कंपाउंडिंग का जादू – लंबे समय में निवेश से पैसा exponentially बढ़ता है।

8. नुकसान – अगर आप गलत तरीके से खेलें

पूंजी का नुकसान – रिस्क मैनेजमेंट न हो तो।

इमोशनल स्ट्रेस – लगातार उतार-चढ़ाव देखने से।

लालच का जाल – जल्दी अमीर बनने के चक्कर में ज्यादा रिस्क लेना।

लिक्विडिटी का रिस्क – गलत समय पर बेचना या फंस जाना।

9. सही मानसिकता – जीत की चाबी

सीखते रहें – मार्केट बदलता रहता है, इसलिए अपडेट रहना जरूरी है।

छोटा शुरू करें – शुरुआत में ज्यादा पैसा न लगाएं।

डाइवर्सिफाई करें – सारे पैसे एक ही शेयर में न डालें।

लॉन्ग टर्म सोचें – असली मुनाफा समय के साथ आता है।

इमोशंस कंट्रोल करें – डर और लालच से दूर रहें।

 

10. स्टॉक मार्केट की हकीकत – एक लाइन में

> “स्टॉक मार्केट कोई पैसे बनाने की मशीन नहीं है, बल्कि यह पैसे को बढ़ाने का एक साधन है – बशर्ते आप धैर्य, ज्ञान और अनुशासन के साथ खेलें।”

 

11. एक छोटा रोडमैप – शुरुआत कैसे करें

1. डिमैट अकाउंट खोलें – किसी भरोसेमंद ब्रोकर से।

2. बेसिक सीखें – शेयर, इंडेक्स, कैंडलस्टिक, फंडामेंटल्स।

3. प्लान बनाएं – लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म?

4. छोटे से शुरू करें – ₹5000-₹10000 से भी शुरुआत हो सकती है।

5. सीखते-सीखते बढ़ाएं – अनुभव के साथ इन्वेस्टमेंट बढ़ाएं।

 

➡️निष्कर्ष – असली हकीकत

स्टॉक मार्केट में जो लोग अनुशासन, धैर्य और ज्ञान के साथ चलते हैं, वही विजेता बनते हैं।
बाकी लोग अफवाहों, लालच और शॉर्टकट के चक्कर में पैसा खो देते हैं। यह जगह पैसे को आपके लिए काम पर लगाने की जगह है, न कि जुए की टेबल।
अगर आप इसे सही तरीके से अपनाते हैं, तो यह आपकी जिंदगी बदल सकता है।

 

स्टॉक मार्केट में IPO क्या होता है what is IPO in stock market

स्टॉक मार्केट में IPO क्या होता है what is IPO in stock market

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है स्टॉक मार्केट सोशल मीडिया औरऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़ें .IPO क्या होता है? – आसान भाषा में पूरी जानकारी दोस्तों, अगर आपने कभी टीवी, न्यूज या सोशल मीडिया पर यह खबर सुनी हो कि –
“XYZ कंपनी का IPO आने वाला है”
तो आपके दिमाग में सवाल जरूर आया होगा – ये IPO आखिर है क्या? और लोग इसमें निवेश क्यों करते हैं? चलिए, आज हम इसे बिल्कुल आसान उदाहरण के साथ समझते हैं।

1️⃣ IPO का मतलब

IPO का फुल फॉर्म है – Initial Public Offering।
हिंदी में इसे कहते हैं – प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव।

मतलब, जब कोई प्राइवेट कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को बेचने के लिए शेयर बाजार में आती है, तो इस प्रक्रिया को IPO कहते हैं।

सीधी भाषा में:

कंपनी पहले सिर्फ मालिकों, पार्टनर्स और कुछ बड़े निवेशकों की होती है।

लेकिन जब कंपनी को आगे बढ़ने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत पड़ती है, तो वो अपने शेयर (हिस्सेदारी) आम लोगों को बेच देती है।

यही शेयर बेचने की प्रक्रिया IPO कहलाती है।

 

2️⃣ कंपनी को IPO क्यों लाना पड़ता है?

IPO लाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

1. बिज़नेस का विस्तार करना

नई फैक्ट्री लगाना

नए शहर या देश में बिज़नेस फैलाना

 

2. कर्ज चुकाना

कई बार कंपनी के ऊपर बड़ा लोन होता है, जिसे चुकाने के लिए IPO लाया जाता है।

 

3. नए प्रोजेक्ट्स में निवेश

रिसर्च, नए प्रोडक्ट या नई टेक्नोलॉजी लाने के लिए फंड चाहिए।

 

4. ब्रांड वैल्यू बढ़ाना

शेयर बाजार में लिस्ट होने से कंपनी की पहचान और भरोसा बढ़ता है।

 

3️⃣ IPO कैसे काम करता है? – आसान उदाहरण

मान लीजिए “Shakir Electronics Pvt Ltd” एक प्राइवेट कंपनी है।

कंपनी 10 साल से अच्छे से चल रही है और अब इसे एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना है, जिसकी लागत ₹100 करोड़ है।

कंपनी के पास ₹40 करोड़ हैं, बाकी ₹60 करोड़ चाहिए।

अब कंपनी के पास दो रास्ते हैं:

1. बैंक से लोन लेना (जिसमें ब्याज देना पड़ेगा)

2. पब्लिक से पैसे लेना (बिना ब्याज, लेकिन हिस्सेदारी देकर)

 

कंपनी दूसरा तरीका चुनती है और अपने 30% शेयर पब्लिक को बेचने का फैसला करती है।
इसके लिए वो SEBI (Securities and Exchange Board of India) के पास आवेदन करती है और IPO लाती है।

 

4️⃣ IPO की प्रक्रिया – स्टेप बाय स्टेप

1. Merchant Banker चुनना

कंपनी एक Merchant Banker या Book Running Lead Manager (BRLM) को हायर करती है, जो IPO का पूरा प्लान और कागजी काम संभालता है।

2. SEBI की मंजूरी लेना

SEBI को Draft Red Herring Prospectus (DRHP) नाम की डॉक्यूमेंट भेजी जाती है, जिसमें कंपनी का बिज़नेस, फाइनेंशियल डिटेल, रिस्क फैक्टर्स आदि होते हैं।

3. Price Band तय करना

कंपनी तय करती है कि एक शेयर की कीमत कितनी होगी, जैसे ₹100-₹110 के बीच।

4. IPO ओपन होना

IPO कुछ दिनों (आमतौर पर 3-5 दिन) के लिए पब्लिक के लिए खुला रहता है।

5. शेयर अलॉटमेंट

अगर ज्यादा लोग अप्लाई करते हैं तो लॉटरी सिस्टम से अलॉटमेंट होता है।

6. शेयर लिस्टिंग

IPO के बाद कंपनी के शेयर NSE और BSE पर लिस्ट हो जाते हैं और आप इन्हें सीधे खरीद-बेच सकते हैं।

 

5️⃣ IPO में निवेश करने के फायदे

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स्विंग ट्रेडिंग क्या है ? हिंदी में what is swing trading in hindi

what is swing trading in hindi

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़े.अगर आप शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने “स्विंग ट्रेडिंग” का नाम जरूर सुना होगा। यह न तो बहुत तेज़ (Intraday) होती है और न ही बहुत लंबी अवधि की (Long-term investment)। बल्कि, यह दोनों के बीच का एक स्मार्ट तरीका है, जिसमें आप कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक स्टॉक होल्ड करके प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं।

1. परिचय

अगर आप शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने “स्विंग ट्रेडिंग” का नाम जरूर सुना होगा। यह न तो बहुत तेज़ (Intraday) होती है और न ही बहुत लंबी अवधि की (Long-term investment)। बल्कि, यह दोनों के बीच का एक स्मार्ट तरीका है, जिसमें आप कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक स्टॉक होल्ड करके प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं। सीधे शब्दों में, स्विंग ट्रेडिंग का मतलब है ट्रेंड पकड़कर उसमें सवार होना, और जब ट्रेंड बदलने लगे तो मुनाफा लेकर बाहर निकल जाना।

 

2. स्विंग ट्रेडिंग की परिभाषा

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर स्टॉक, कमोडिटी, या किसी भी फाइनेंशियल एसेट को 2-3 दिन से लेकर 2-3 हफ़्तों तक होल्ड करता है। इसका मुख्य लक्ष्य मध्यम अवधि के प्राइस मूवमेंट से फायदा उठाना होता है।

Intraday Trading → ट्रेड एक ही दिन में खत्म।

Swing Trading → कुछ दिन से कुछ हफ्ते तक पोजीशन होल्ड।

Position Trading → कई महीने या साल तक होल्ड।

 

3. स्विंग ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

स्विंग ट्रेडिंग में, आप चार्ट, पैटर्न, और टेक्निकल इंडिकेटर्स देखकर यह तय करते हैं कि स्टॉक उपर (Bullish) जाने वाला है या नीचे (Bearish)।

काम करने के स्टेप्स:

1. स्टॉक चुनना – वॉल्यूम और वोलैटिलिटी अच्छे वाले स्टॉक से शुरुआत।

2. ट्रेंड पहचानना – अपट्रेंड, डाउनट्रेंड, या साइडवेज़।

3. एंट्री पॉइंट तय करना – कब खरीदना या बेचना है।

4. टारगेट और स्टॉप लॉस सेट करना – प्रॉफिट और रिस्क लिमिट।

5. एक्जिट करना – ट्रेंड बदलते ही पोजीशन बंद।

 

4. स्विंग ट्रेडिंग का एक आसान उदाहरण

मान लीजिए ABC Ltd का शेयर ₹100 पर है। आप चार्ट देखकर पाते हैं कि यह ₹115 तक जा सकता है।

आपने 100 शेयर खरीदे ₹100 के हिसाब से (कुल ₹10,000)।

5 दिन में शेयर ₹115 हो गया।

आपने सेल कर दिया और ₹15 × 100 = ₹1500 का मुनाफा ले लिया।

अगर ट्रेंड उल्टा जाता, तो स्टॉप लॉस (जैसे ₹95) पर बेचकर नुकसान सीमित रखते।

 

5. स्विंग ट्रेडिंग बनाम इंट्राडे ट्रेडिंग

पैरामीटर स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग

होल्डिंग टाइम कुछ दिन से कुछ हफ्ते कुछ मिनट से कुछ घंटे
रिस्क लेवल मीडियम हाई
टाइम रीक्वायरमेंट कम ज्यादा
एनालिसिस टाइप डेली / 4-घंटे का चार्ट मिनट / सेकंड का चार्ट
स्ट्रेस लेवल कम ज्यादा

 

6. स्विंग ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाले टूल्स

(A) टेक्निकल इंडिकेटर्स

Moving Averages (MA) – ट्रेंड पहचानने के लिए।

Relative Strength Index (RSI) – ओवरबॉट/ओवरसोल्ड लेवल जानने के लिए।

MACD – ट्रेंड रिवर्सल पकड़ने के लिए।

Bollinger Bands – प्राइस वोलैटिलिटी जानने के लिए।

(B) चार्ट पैटर्न्स

Head & Shoulders

Double Top / Bottom

Cup & Handle

Flag & Pennant

 

7. स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

1. कम समय की जरूरत – आपको पूरे दिन स्क्रीन से चिपके रहने की जरूरत नहीं।

2. अच्छा रिस्क-रिवॉर्ड – अगर सही स्टॉक चुना तो 1-2 हफ्तों में अच्छा रिटर्न।

3. कम ब्रोकरेज – इंट्राडे की तुलना में कम ट्रेडिंग होती है।

4. फ्लेक्सिबिलिटी – जॉब करने वाले लोग भी कर सकते हैं।

 

8. स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान / रिस्क

1. ओवरनाइट रिस्क – मार्केट में रातभर या वीकेंड में अचानक खबर आ सकती है।

2. गलत ट्रेंड पकड़ना – गलत एनालिसिस से नुकसान।

3. गैप-अप/गैप-डाउन ओपनिंग – प्राइस में अचानक उछाल या गिरावट।

4. इमोशनल डिसीजन – लालच या डर से समय पर एक्जिट न करना।

 

9. स्विंग ट्रेडिंग के

लिए जरूरी स्किल्स

टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी समझ।

रिस्क मैनेजमेंट – हर ट्रेड में 1-2% से ज्यादा रिस्क न लेना।

पेशेंस – सही मौके का इंतजार करना।

मार्केट न्यूज पर नजर – कॉर्पोरेट रिजल्ट, बजट, RBI पॉलिसी आदि।

 

10. स्विंग ट्रेडिंग के लिए सही स्टॉक कैसे चुनें?

High Liquidity – जिसमें खरीदने-बेचने वाले ज्यादा हों।

Good Volatility – प्राइस मूवमेंट अच्छा हो।

Positive News Flow – कंपनी के बारे में अच्छी खबरें।

सेक्टर ट्रेंड – जिस सेक्टर में तेजी हो, उसी में स्टॉक चुनें।

 

11. स्विंग ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम

एंट्री के लिए → 1-घंटे या 4-घंटे का चार्ट।

कन्फर्मेशन के लिए → डेली चार्ट।

स्टॉप लॉस तय करने के लिए → सपोर्ट-रेजिस्टेंस लेवल।

 

12. स्विंग ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट

स्टॉप लॉस जरूरी – ताकि बड़ा नुकसान न हो।

पोजीशन साइज छोटा रखें – एक ट्रेड में पूरी कैपिटल न लगाएं।

डायवर्सिफिकेशन – एक साथ 3-4 अलग सेक्टर के स्टॉक।

 

13. स्विंग ट्रेडिंग के गोल्डन टिप्स

1. ट्रेंड के खिलाफ ट्रेड न करें।

2. लालच में आकर टारगेट बढ़ाते न रहें।

3. हमेशा प्लान बनाकर चलें – Entry, Target, Stop Loss।

4. न्यूज और इवेंट्स पर नजर रखें।

5. लॉग बुक बनाएं – अपने ट्रेड्स का रिकॉर्ड रखें।

 

14. शुरुआती लोगों के लिए एक सिंपल स्ट्रेटेजी

“Moving Average Crossover Strategy”

50-day MA और 200-day MA यूज़ करें।

जब 50-day MA, 200-day MA को ऊपर से काटे → Buy Signal।

जब 50-day MA, 200-day MA को नीचे से काटे → Sell Signal।

यह बेसिक है, लेकिन ट्रेंड पकड़ने में मददगार है।

 

➡️ निष्कर्ष

स्विंग ट्रेडिंग उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो कम समय में अच्छा रिटर्न चाहते हैं, लेकिन दिनभर स्क्रीन के सामने नहीं बैठ सकते। इसमें टेक्निकल एनालिसिस और रिस्क मैनेजमेंट की समझ जरूरी है।

अगर आप शुरुआत कर रहे हैं, तो पहले पेपर ट्रेडिंग (डेमो) करें, फिर धीरे-धीरे छोटे कैपिटल से असली ट्रेडिंग शुरू करें। याद रखें, मार्केट में जल्दी अमीर बनने का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन सही रणनीति और अनुशासन से स्विंग ट्रेडिंग एक स्थिर इनकम का जरिया बन सकती है।

अगर आप चाहें तो मैं इसके साथ एक आसान “स्विंग ट्रेडिंग  स्ट्रेटेजी जानने के लिए दूसरा आर्टिकल जरूर पढ़ें 👇

 

पोजीशन ट्रेडिंग क्या है what is position trading

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जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इस  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़े। इस आर्टिकल में पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है इसी के विषय में जानकारी दी गई हैं

पोजीशन ट्रेडिंग क्या है?

पोजीशन ट्रेडिंग शेयर मार्केट की एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर या निवेशक किसी स्टॉक, इंडेक्स, कमोडिटी या करेंसी को लंबे समय के लिए होल्ड करता है — हफ्तों, महीनों या कई बार सालों तक — ताकि बड़े प्राइस मूव का फायदा उठा सके।

इसे आप ऐसे समझें👇

इंट्राडे ट्रेडिंग → दिन भर में खरीदना और बेचना।

स्विंग ट्रेडिंग → कुछ दिन या हफ्तों तक होल्ड करना।

पोजीशन ट्रेडिंग → कई महीने या साल तक होल्ड करना।

मतलब, अगर आप किसी कंपनी का स्टॉक खरीदते हैं और सोचते हैं, “ये 6 महीने या 1 साल में दोगुना हो सकता है”, तो आप पोजीशन ट्रेडिंग कर रहे हैं।

 

पोजीशन ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

पोजीशन ट्रेडिंग का बेसिक आइडिया है —

> “Trend को पकड़ो, और तब तक होल्ड करो जब तक वह बड़ा फायदा न दे दे।”

 

इसमें आपको चार्ट एनालिसिस (Technical Analysis) और कंपनी या सेक्टर का फंडामेंटल एनालिसिस दोनों समझना ज़रूरी है, ताकि आप सही एंट्री और एग्ज़िट ले सकें।

स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया

1. ट्रेंड पहचानना
मार्केट में अभी कौन सा सेक्टर या स्टॉक अपट्रेंड (ऊपर जाने वाला) है, ये पता करें।

2. टेक्निकल और फंडामेंटल चेक

फंडामेंटल: कंपनी का प्रॉफिट, सेल्स, ग्रोथ, मैनेजमेंट, सेक्टर पोज़िशन।

टेक्निकल: मूविंग एवरेज, ट्रेंडलाइन, सपोर्ट-रेज़िस्टेंस।

 

3. एंट्री पॉइंट
सही समय पर खरीदें — आमतौर पर तब जब ट्रेंड कन्फर्म हो और स्टॉक ब्रेकआउट दे रहा हो।

4. होल्ड करना
धैर्य रखें। पोजीशन ट्रेडिंग में “जल्दी बेचने की आदत” नुकसान कर सकती है।

5. एग्ज़िट पॉइंट
टार्गेट पूरा होते ही बेचें या ट्रेंड रिवर्स होते ही बाहर निकल जाएं।

 

 

पोजीशन ट्रेडिंग का उदाहरण

मान लीजिए 2020 में टाटा मोटर्स का स्टॉक ₹70 पर था।
उस समय ऑटो सेक्टर में रिकवरी के संकेत मिल रहे थे, और कंपनी के EV (Electric Vehicle) प्लान चर्चा में थे।

अगर आपने रिसर्च करके ₹70 पर खरीदा और 1-1.5 साल तक होल्ड किया, तो 2022 में ये ₹500 के आसपास चला गया।
मतलब — आपका पैसा लगभग 7 गुना हो गया।

यही पोजीशन ट्रेडिंग का असली जादू है — लंबा धैर्य, बड़ा फायदा।

पोजीशन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी स्किल्स

1. फंडामेंटल एनालिसिस

कंपनी का बैलेंस शीट पढ़ना

प्रॉफिट और लॉस ट्रेंड देखना

सेक्टर की ग्रोथ संभावना

2. टेक्निकल एनालिसिस

चार्ट पैटर्न पहचानना (ब्रेकआउट, फ्लैग, कप एंड हैंडल)

मूविंग एवरेज (50-DMA, 200-DMA)

वॉल्यूम एनालिसिस

3. धैर्य और डिसिप्लिन

मार्केट के छोटे उतार-चढ़ाव से परेशान न होना

अपने प्लान पर टिके रहना

4. रिस्क मैनेजमेंट

एक ही स्टॉक में बहुत ज्यादा पैसा न लगाना

स्टॉप लॉस और टार्गेट सेट करना

पोजीशन ट्रेडिंग और निवेश में फर्क

फैक्टर पोजीशन ट्रेडिंग लॉन्ग-टर्म निवेश

होल्डिंग टाइम कुछ महीने से 2-3 साल 5-10 साल या उससे ज्यादा
फोकस प्राइस ट्रेंड + फंडामेंटल फंडामेंटल ग्रोथ
एग्ज़िट प्लान टार्गेट या ट्रेंड रिवर्स रिटायरमेंट या लंबे गोल
एनालिसिस टेक्निकल + फंडामेंटल मुख्यतः फंडामेंटल

पोजीशन ट्रेडिंग के फायदे

1. बड़ा प्रॉफिट पोटेंशियल
लंबी मूव पकड़ने से बड़ा रिटर्न मिलता है।

2. कम ट्रेडिंग फ्रिक्वेंसी
रोज़-रोज़ ट्रेड करने की ज़रूरत नहीं।

3. टाइम की बचत
ऑफिस, बिजनेस या पढ़ाई करने वालों के लिए आसान।

4. कम स्ट्रेस
इंट्राडे जैसी टेंशन नहीं।

पोजीशन ट्रेडिंग के नुकसान / रिस्क

1. मार्केट रिवर्सल रिस्क
अचानक ट्रेंड बदलने पर नुकसान हो सकता है।

2. कैपिटल ब्लॉक होना
लंबे समय तक पैसा एक स्टॉक में फंसा रहता है।

3. धैर्य की परीक्षा
छोटे उतार-चढ़ाव में पैनिक होकर बेच सकते हैं।

4. गैप-डाउन ओपनिंग रिस्क
ओवरनाइट न्यूज़ से प्राइस अचानक गिर सकता है।

 

पोजीशन ट्रेडिंग के लिए बेस्ट स्ट्रेटेजीज़

1. ट्रेंड फॉलोइंग स्ट्रेटेजी

अपट्रेंड में खरीदो, डाउनट्रेंड में बेचो।

200-DMA से ऊपर के स्टॉक्स में ट्रेड करो।

2. ब्रेकआउट ट्रेडिंग

जब कोई स्टॉक लंबे समय के रेज़िस्टेंस को तोड़ता है, तब एंट्री लो।

3. सेक्टर-आधारित पोजीशन

किसी ग्रोथ सेक्टर (जैसे EV, Renewable Energy, Pharma) में अच्छे स्टॉक्स चुनना।

4. फंडामेंटल + टेक्निकल कॉम्बो

दोनों एनालिसिस को मिलाकर हाई-कन्फिडेंस ट्रेड बनाना।

रिस्क मैनेजमेंट टिप्स

हमेशा स्टॉप लॉस लगाएं, भले ही आप लंबा होल्ड कर रहे हों।

एक ट्रेड में अपने पोर्टफोलियो का 10-15% से ज्यादा पैसा न लगाएं।

समय-समय पर रिव्यू करें — अगर कंपनी का बिजनेस बिगड़ रहा है, तो बाहर निकलें।

कौन लोग पोजीशन ट्रेडिंग करें?

जिनके पास मार्केट देखने का ज्यादा टाइम नहीं है।

जो लंबी अवधि का ट्रेंड पकड़ना चाहते हैं।

जिनका धैर्य अच्छा है और भावनाओं पर कंट्रोल है।

निष्कर्ष↙️

पोजीशन ट्रेडिंग एक स्मार्ट और कम तनाव वाली ट्रेडिंग स्टाइल है, जिसमें सही स्टॉक और सही समय पर एंट्री लेकर लंबा होल्ड करने से बड़े मुनाफे कमाए जा सकते हैं।
लेकिन याद रखें — इसमें भी रिस्क है, इसलिए रिसर्च + डिसिप्लिन + रिस्क मैनेजमेंट तीनों ज़रूरी हैं।

अगर आप जल्दबाज़ी के बजाय धैर्य से काम कर सकते हैं, तो पोजीशन ट्रेडिंग आपके लिए एक बेहतरीन तरीका हो सकता है मार्केट में अच्छा रिटर्न पाने का।