google-site-verification=6xpALziFXrUirL6iqg4wCEjQhb3wObOmA8r1Kpa8SqQ स्विंग ट्रेडिंग क्या है ? हिंदी में what is swing trading in hindi - investingsetup.com

स्विंग ट्रेडिंग क्या है ? हिंदी में what is swing trading in hindi

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं इसलिए  लेख को  ध्यान पूर्वक  से पढ़े.अगर आप शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने “स्विंग ट्रेडिंग” का नाम जरूर सुना होगा। यह न तो बहुत तेज़ (Intraday) होती है और न ही बहुत लंबी अवधि की (Long-term investment)। बल्कि, यह दोनों के बीच का एक स्मार्ट तरीका है, जिसमें आप कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक स्टॉक होल्ड करके प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं।

1. परिचय

अगर आप शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने “स्विंग ट्रेडिंग” का नाम जरूर सुना होगा। यह न तो बहुत तेज़ (Intraday) होती है और न ही बहुत लंबी अवधि की (Long-term investment)। बल्कि, यह दोनों के बीच का एक स्मार्ट तरीका है, जिसमें आप कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ़्तों तक स्टॉक होल्ड करके प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते हैं। सीधे शब्दों में, स्विंग ट्रेडिंग का मतलब है ट्रेंड पकड़कर उसमें सवार होना, और जब ट्रेंड बदलने लगे तो मुनाफा लेकर बाहर निकल जाना।

 

2. स्विंग ट्रेडिंग की परिभाषा

स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर स्टॉक, कमोडिटी, या किसी भी फाइनेंशियल एसेट को 2-3 दिन से लेकर 2-3 हफ़्तों तक होल्ड करता है। इसका मुख्य लक्ष्य मध्यम अवधि के प्राइस मूवमेंट से फायदा उठाना होता है।

Intraday Trading → ट्रेड एक ही दिन में खत्म।

Swing Trading → कुछ दिन से कुछ हफ्ते तक पोजीशन होल्ड।

Position Trading → कई महीने या साल तक होल्ड।

 

3. स्विंग ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

स्विंग ट्रेडिंग में, आप चार्ट, पैटर्न, और टेक्निकल इंडिकेटर्स देखकर यह तय करते हैं कि स्टॉक उपर (Bullish) जाने वाला है या नीचे (Bearish)।

काम करने के स्टेप्स:

1. स्टॉक चुनना – वॉल्यूम और वोलैटिलिटी अच्छे वाले स्टॉक से शुरुआत।

2. ट्रेंड पहचानना – अपट्रेंड, डाउनट्रेंड, या साइडवेज़।

3. एंट्री पॉइंट तय करना – कब खरीदना या बेचना है।

4. टारगेट और स्टॉप लॉस सेट करना – प्रॉफिट और रिस्क लिमिट।

5. एक्जिट करना – ट्रेंड बदलते ही पोजीशन बंद।

 

4. स्विंग ट्रेडिंग का एक आसान उदाहरण

मान लीजिए ABC Ltd का शेयर ₹100 पर है। आप चार्ट देखकर पाते हैं कि यह ₹115 तक जा सकता है।

आपने 100 शेयर खरीदे ₹100 के हिसाब से (कुल ₹10,000)।

5 दिन में शेयर ₹115 हो गया।

आपने सेल कर दिया और ₹15 × 100 = ₹1500 का मुनाफा ले लिया।

अगर ट्रेंड उल्टा जाता, तो स्टॉप लॉस (जैसे ₹95) पर बेचकर नुकसान सीमित रखते।

 

5. स्विंग ट्रेडिंग बनाम इंट्राडे ट्रेडिंग

पैरामीटर स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग

होल्डिंग टाइम कुछ दिन से कुछ हफ्ते कुछ मिनट से कुछ घंटे
रिस्क लेवल मीडियम हाई
टाइम रीक्वायरमेंट कम ज्यादा
एनालिसिस टाइप डेली / 4-घंटे का चार्ट मिनट / सेकंड का चार्ट
स्ट्रेस लेवल कम ज्यादा

 

6. स्विंग ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाले टूल्स

(A) टेक्निकल इंडिकेटर्स

Moving Averages (MA) – ट्रेंड पहचानने के लिए।

Relative Strength Index (RSI) – ओवरबॉट/ओवरसोल्ड लेवल जानने के लिए।

MACD – ट्रेंड रिवर्सल पकड़ने के लिए।

Bollinger Bands – प्राइस वोलैटिलिटी जानने के लिए।

(B) चार्ट पैटर्न्स

Head & Shoulders

Double Top / Bottom

Cup & Handle

Flag & Pennant

 

7. स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

1. कम समय की जरूरत – आपको पूरे दिन स्क्रीन से चिपके रहने की जरूरत नहीं।

2. अच्छा रिस्क-रिवॉर्ड – अगर सही स्टॉक चुना तो 1-2 हफ्तों में अच्छा रिटर्न।

3. कम ब्रोकरेज – इंट्राडे की तुलना में कम ट्रेडिंग होती है।

4. फ्लेक्सिबिलिटी – जॉब करने वाले लोग भी कर सकते हैं।

 

8. स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान / रिस्क

1. ओवरनाइट रिस्क – मार्केट में रातभर या वीकेंड में अचानक खबर आ सकती है।

2. गलत ट्रेंड पकड़ना – गलत एनालिसिस से नुकसान।

3. गैप-अप/गैप-डाउन ओपनिंग – प्राइस में अचानक उछाल या गिरावट।

4. इमोशनल डिसीजन – लालच या डर से समय पर एक्जिट न करना।

 

9. स्विंग ट्रेडिंग के

लिए जरूरी स्किल्स

टेक्निकल एनालिसिस की अच्छी समझ।

रिस्क मैनेजमेंट – हर ट्रेड में 1-2% से ज्यादा रिस्क न लेना।

पेशेंस – सही मौके का इंतजार करना।

मार्केट न्यूज पर नजर – कॉर्पोरेट रिजल्ट, बजट, RBI पॉलिसी आदि।

 

10. स्विंग ट्रेडिंग के लिए सही स्टॉक कैसे चुनें?

High Liquidity – जिसमें खरीदने-बेचने वाले ज्यादा हों।

Good Volatility – प्राइस मूवमेंट अच्छा हो।

Positive News Flow – कंपनी के बारे में अच्छी खबरें।

सेक्टर ट्रेंड – जिस सेक्टर में तेजी हो, उसी में स्टॉक चुनें।

 

11. स्विंग ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम

एंट्री के लिए → 1-घंटे या 4-घंटे का चार्ट।

कन्फर्मेशन के लिए → डेली चार्ट।

स्टॉप लॉस तय करने के लिए → सपोर्ट-रेजिस्टेंस लेवल।

 

12. स्विंग ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट

स्टॉप लॉस जरूरी – ताकि बड़ा नुकसान न हो।

पोजीशन साइज छोटा रखें – एक ट्रेड में पूरी कैपिटल न लगाएं।

डायवर्सिफिकेशन – एक साथ 3-4 अलग सेक्टर के स्टॉक।

 

13. स्विंग ट्रेडिंग के गोल्डन टिप्स

1. ट्रेंड के खिलाफ ट्रेड न करें।

2. लालच में आकर टारगेट बढ़ाते न रहें।

3. हमेशा प्लान बनाकर चलें – Entry, Target, Stop Loss।

4. न्यूज और इवेंट्स पर नजर रखें।

5. लॉग बुक बनाएं – अपने ट्रेड्स का रिकॉर्ड रखें।

 

14. शुरुआती लोगों के लिए एक सिंपल स्ट्रेटेजी

“Moving Average Crossover Strategy”

50-day MA और 200-day MA यूज़ करें।

जब 50-day MA, 200-day MA को ऊपर से काटे → Buy Signal।

जब 50-day MA, 200-day MA को नीचे से काटे → Sell Signal।

यह बेसिक है, लेकिन ट्रेंड पकड़ने में मददगार है।

 

➡️ निष्कर्ष

स्विंग ट्रेडिंग उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो कम समय में अच्छा रिटर्न चाहते हैं, लेकिन दिनभर स्क्रीन के सामने नहीं बैठ सकते। इसमें टेक्निकल एनालिसिस और रिस्क मैनेजमेंट की समझ जरूरी है।

अगर आप शुरुआत कर रहे हैं, तो पहले पेपर ट्रेडिंग (डेमो) करें, फिर धीरे-धीरे छोटे कैपिटल से असली ट्रेडिंग शुरू करें। याद रखें, मार्केट में जल्दी अमीर बनने का कोई शॉर्टकट नहीं है, लेकिन सही रणनीति और अनुशासन से स्विंग ट्रेडिंग एक स्थिर इनकम का जरिया बन सकती है।

अगर आप चाहें तो मैं इसके साथ एक आसान “स्विंग ट्रेडिंग  स्ट्रेटेजी जानने के लिए दूसरा आर्टिकल जरूर पढ़ें 👇

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