जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करतl है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं Let’s लेख को ध्यान पूर्वक से पढ़ें आज इस लेख में स्टॉक split क्या हो ता है इसके बारे में विस्तार से पढगे
प्रस्तावना –
1.स्टॉक स्प्लिट क्यों चर्चा में रहता है?
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो आपने अक्सर ख़बरों में सुना होगा –कोई स्टॉक“XYZ कंपनी ने 1:5 के रेशियो में स्टॉक स्प्लिट का ऐलान किया”
ऐसी खबर सुनते ही कई निवेशकों के मन में सवाल आता है – “ये स्टॉक स्प्लिट होता क्या है? क्या इसमें मेरा फायदा होगा? क्या इससे शेयर का दाम घट जाएगा? या बढ़ जाएगा?”
सीधे शब्दों में कहें, तो स्टॉक स्प्लिट एक प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने शेयरों को छोटे हिस्सों में बाँट देती है, लेकिन आपके कुल निवेश का मूल्य (Total Investment Value) वही रहता है।
इसको आसान भाषा में समझने के लिए हम आगे एक मज़ेदार उदाहरण लेंगे, लेकिन पहले स्टॉक स्प्लिट की परिभाषा देखते हैं।
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स्टॉक स्प्लिट की परिभाषा
(Definition of Stock Split)
स्टॉक स्प्लिट वह प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने जारी किए गए शेयरों की संख्या बढ़ा देती है, जबकि प्रत्येक शेयर का फेस वैल्यू (Face Value) घटा देती है।
📌 मुख्य बिंदु
आपके पास पहले जितनी वैल्यू का निवेश था, वही रहता है।
शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
हर शेयर का प्राइस (Market Price) अनुपात में कम हो जाता है।
कंपनी का कुल मार्केट कैप (Market Capitalization) नहीं बदलता।
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एक आसान उदाहरण – पिज़्ज़ा वाला फंडा 🍕
मान लीजिए आपके पास एक पूरा पिज़्ज़ा है जिसकी कीमत ₹800 है।
अगर पिज़्ज़ा को 4 टुकड़ों में काटा गया है, तो एक टुकड़े की कीमत होगी ₹200।
अब अगर वही पिज़्ज़ा 8 टुकड़ों में काट दिया जाए, तो हर टुकड़े की कीमत ₹100 हो जाएगी।
➡ पिज़्ज़ा की कुल कीमत ₹800 ही रहेगी, बस टुकड़े ज़्यादा हो गए।
यही स्टॉक स्प्लिट है – आपके पास पहले कम संख्या में बड़े शेयर थे, अब ज्यादा संख्या में छोटे शेयर होंगे, लेकिन कुल निवेश वही रहेगा।
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स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है? (How Stock Split Works)
जब कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है, तो वह एक स्प्लिट रेशियो (Split Ratio) घोषित करती है, जैसे:
1:2 → हर 1 शेयर के बदले आपको 2 शेयर मिलेंगे।
1:5 → हर 1 शेयर के बदले आपको 5 शेयर मिलेंगे।
उदाहरण:
मान लीजिए आपके पास XYZ कंपनी के 10 शेयर हैं, हर शेयर की कीमत ₹1,000 है।
कुल निवेश मूल्य: 10 × ₹1,000 = ₹10,000
अगर कंपनी 1:5 स्टॉक स्प्लिट करती है, तो –
आपके 10 शेयर × 5 = 50 शेयर हो जाएंगे।
नए शेयर का दाम ₹1,000 ÷ 5 = ₹200 हो जाएगा।
नया निवेश मूल्य: 50 × ₹200 = ₹10,000
(यानी कुल वैल्यू में कोई बदलाव नहीं)
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स्टॉक स्प्लिट करने के कारण (Why Companies Do Stock Split)
कंपनी कई वजहों से स्टॉक स्प्लिट करती है:
5.1 शेयर को निवेशकों के लिए सस्ता बनाना
जब किसी कंपनी का शेयर बहुत महंगा हो जाता है (जैसे ₹5,000, ₹10,000), तो नए और छोटे निवेशकों के लिए खरीदना मुश्किल हो जाता है।
स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर का दाम घट जाता है, जिससे ज्यादा लोग निवेश कर पाते हैं।
5.2 मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाना
कम प्राइस पर ज्यादा निवेशक आसानी से खरीद-बिक्री कर सकते हैं, जिससे शेयर का ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी बढ़ती है।
5.3 पब्लिक इमेज और निवेशक आकर्षण
कंपनी का सस्ता और ज्यादा उपलब्ध शेयर निवेशकों को आकर्षित करता है, जिससे लंबे समय में शेयर की डिमांड बढ़ सकती है।
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स्टॉक स्प्लिट के प्रकार (Types of Stock Split)
- फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट (Forward Stock Split)
यह सबसे आम प्रकार है।
कंपनी शेयरों की संख्या बढ़ाती है और प्राइस घटाती है।
उदाहरण: 1:5 स्प्लिट – 1 शेयर के बदले 5 शेयर।
- रिवर्स स्टॉक स्प्लिट (Reverse Stock Split)
इसमें कंपनी शेयरों की संख्या घटाती है और प्राइस बढ़ाती है।
उदाहरण: 5:1 रिवर्स स्प्लिट – 5 शेयर को मिलाकर 1 शेयर बना दिया जाता है।
आमतौर पर तब किया जाता है जब शेयर का प्राइस बहुत गिर गया हो और कंपनी उसे बढ़ाकर आकर्षक बनाना चाहती है।
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स्टॉक स्प्लिट का निवेशकों परअसर (Impact on Investors)
7.1 सकारात्मक असर
शेयर सस्ता होने पर ज्यादा लोग खरीद सकते हैं।
लिक्विडिटी बढ़ती है, जिससे खरीद-बिक्री आसान होती है।
कंपनी का पब्लिक इमेज सुधर सकता है।
7.2 नकारात्मक या न्यूट्रल असर
असल में आपके निवेश की वैल्यू नहीं बढ़ती, सिर्फ शेयरों की संख्या बढ़ती है।
कभी-कभी सस्ता होने के बाद ज्यादा सट्टेबाजी (Speculation) शुरू हो जाती है, जिससे वोलैटिलिटी बढ़ सकती है।
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स्टॉक स्प्लिट बनाम बोनस शेयर (Stock Split vs Bonus Share)
बिंदु स्टॉक स्प्लिट बोनस शेयर
परिभाषा शेयर को छोटे हिस्सों में बाँटना अतिरिक्त मुफ्त शेयर देना
निवेश मूल्य वही रहता है निवेश मूल्य बढ़ सकता है
शेयर प्राइस अनुपात में घटता है घट सकता है या वैसा ही रह सकता है
फेस वैल्यू घट जाती है वैसी ही रहती है
उद्देश्य शेयर को सस्ता और लिक्विड बनाना निवेशकों को रिवॉर्ड देना
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भारत में स्टॉक स्प्लिट के कुछ उदाहरण
- रिलायंस इंडस्ट्रीज – 2017 में 1:10 स्प्लिट
- इन्फोसिस – 2018 में 1:2 स्प्लिट
- टीसीएस (TCS) – 2018 में 1:2 स्प्लिट
- एशियन पेंट्स – 2003 और 2013 में स्प्लिट
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निवेशक के लिए स्टॉक स्प्लिट का महत्व
अगर आप निवेशक हैं, तो स्टॉक स्प्लिट आपके लिए मुख्य रूप से दो चीजें बदलता है:
आपके पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
प्रति शेयर कीमत घट जाती है, जिससे ट्रेडिंग आसान होती है।
लेकिन ध्यान रखें:
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के फंडामेंटल्स (Profit, Revenue, Business Model) में कोई बदलाव नहीं होता।
यह सिर्फ तकनीकी (Technical) परिवर्तन है।
असली फायदा तभी होगा अगर कंपनी का बिज़नेस मजबूत हो और वह लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन करे।
निष्कर्ष
स्टॉक स्प्लिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने शेयरों को छोटे हिस्सों में बाँटकर निवेशकों के लिए सस्ता और आसानी से उपलब्ध बना देती है।
यह निवेशकों को सीधे तौर पर फायदा नहीं देता, लेकिन मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाता है और छोटे निवेशकों के लिए कंपनी का शेयर खरीदना आसान बना देता है।
यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो स्टॉक स्प्लिट को कंपनी के अच्छे प्रदर्शन के संकेत के रूप में देख सकते हैं, लेकिन सिर्फ इसी आधार पर निवेश का निर्णय लेना सही नहीं होगा।
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