google-site-verification=6xpALziFXrUirL6iqg4wCEjQhb3wObOmA8r1Kpa8SqQ शेयर बाजार में F&O का मतलब क्या होता है? What does F&O mean in stock market? - investingsetup.com

शेयर बाजार में F&O का मतलब क्या होता है? What does F&O mean in stock market?

जैसा आप सभी जानते हैं | कि investing setup बिल्कुल जेनुइन इनफॉरमेशन प्रोवाइड करत है | और मैं 2019 से इंवॉल्व हूं इसी एक्सपीरियंस से स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग और भी बहुत सरे ऑनलाइन अर्निंग से रिलेटेड आर्टिकल मिल जाएगा | जो फाइनेंशली फ्रीडम अचीव कर सकते हैं शेयर बाजार में निवेश करने वाले बहुत से लोग सिर्फ स्टॉक्स यानी इक्विटी में ही निवेश करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे आप इस क्षेत्र में अनुभव हासिल करते हैं, आपके सामने एक नया शब्द आता है – F&O। यह सुनने में तो तकनीकी लगता है, लेकिन सही जानकारी के साथ यह आपके निवेश के लिए फायदेमंद हो सकता है।

इस लेख में हम सरल और ह्यूमन फ्रेंडली भाषा में जानेंगे कि शेयर बाजार में F&O क्या होता है, कैसे काम करता है, इसके प्रकार, फायदे, जोखिम, और शुरुआती लोगों के लिए सुझाव।

F&O का फुल फॉर्म क्या है?

F&O का मतलब होता है Futures and Options।
यह दोनों ही Derivative Instruments होते हैं – यानी इनकी कीमत किसी और underlying asset (जैसे कि शेयर, इंडेक्स, कमोडिटी) पर आधारित होती है।

Derivative क्या होता है?

Derivative एक ऐसा financial contract होता है जिसकी कीमत किसी underlying asset पर निर्भर करती है, जैसे:

स्टॉक्स (जैसे Reliance, TCS)

इंडेक्स (जैसे NIFTY, BANK NIFTY)

कमोडिटी (जैसे Gold, Silver)

करेंसी (जैसे USD/INR)

Derivatives का मकसद होता है भविष्य के भाव पर सौदा करना।

अब समझते हैं Futures और Options को विस्तार से

1. Futures क्या होता है?

Futures एक ऐसा एग्रीमेंट होता है जिसमें दो पक्ष एक निश्चित कीमत पर भविष्य में किसी स्टॉक या एसेट को खरीदने या बेचने का वादा करते हैं।

उदाहरण↙️

मान लीजिए Reliance का शेयर अभी ₹2500 है। आप मानते हैं कि अगले महीने ये ₹2700 होगा, तो आप ₹2500 पर Futures Contract खरीद लेते हैं।

अगर वाकई भाव ₹2700 हो गया, तो आपको ₹200 का मुनाफा मिलेगा।

अगर भाव गिरकर ₹2400 हो गया, तो आपको ₹100 का नुकसान होगा।

👉 Futures में profit और loss दोनों unlimited हो सकते हैं।

2. Options क्या होता है?

Options भी एक तरह का Futures जैसा ही contract होता है, लेकिन इसमें buyer को एक “अधिकार” (Right) मिलता है, लेकिन **“कर्तव्य” (Obligation)” नहीं होता।

Options दो तरह के होते हैं:

a. Call Option.

अगर आपको लगता है कि किसी स्टॉक का भाव बढ़ेगा, तो आप Call Option खरीद सकते हैं।

b. Put Option.

अगर आपको लगता है कि किसी स्टॉक का भाव गिरेगा, तो आप Put Option खरीद सकते हैं।

👉 Option खरीदने वाला सिर्फ premium भरता है और उसका maximum नुकसान premium तक ही सीमित होता है। लेकिन मुनाफा अनलिमिटेड हो सकता है।

F&O का उपयोग कौन करता है?

F&O में ट्रेडिंग तीन मुख्य वजहों से की जाती है:

1. Hedging (जोखिम से बचाव)

बड़े निवेशक या कंपनियां अपने पोर्टफोलियो को गिरावट से बचाने के लिए F&O का उपयोग करते हैं।

2. Speculation (अनुमान लगाकर कमाई)

कई ट्रेडर्स अनुमान लगाकर F&O में तेजी से कमाई करने की कोशिश करते हैं।

3. Arbitrage (दो बाजारों का लाभ उठाना)

कुछ ट्रेडर्स अलग-अलग बाजारों के भाव में फर्क देखकर मुनाफा कमाते हैं।

F&O में Margin क्या होता है?

F&O ट्रेडिंग में पूरा पैसा नहीं देना होता। आपको सिर्फ एक margin amount देना होता है, जो कुल रकम का कुछ प्रतिशत होता है (जैसे 15%-20%)। इससे leverage मिलता है, यानी कम पैसे में बड़ा सौदा।

उदाहरण

अगर किसी स्टॉक का Futures contract ₹5 लाख का है, और ब्रोकरेज 20% margin मांग रहा है, तो आपको सिर्फ ₹1 लाख लगाना होगा।

 

F&O ट्रेडिंग के फायदे

✅ 1. कम पैसे में बड़ा सौदा (Leverage):

Margin सिस्टम के कारण आप कम पूंजी से भी बड़ा ट्रेड कर सकते हैं।

✅ 2. गिरते बाजार में भी मुनाफा (Short Selling Possible)

Futures और Put Options के जरिए आप गिरते बाजार में भी कमा सकते हैं।

✅ 3. पोर्टफोलियो प्रोटेक्शन (Hedging):

F&O का इस्तेमाल आप अपने मौजूदा निवेश को नुकसान से बचाने के लिए कर सकते हैं।

 

F&O ट्रेडिंग के जोखिम

❌ 1. High Risk – High Reward

अगर आपका अनुमान गलत हुआ तो बड़ा नुकसान हो सकता है।

❌ 2. Complicated समझ (विशेष ज्ञान जरूरी)

F&O में काम करने से पहले इसकी गहरी समझ जरूरी है, नहीं तो नुकसान तय है।

❌ 3. Time Decay in Options:

Options की वैल्यू समय के साथ घटती जाती है। समय पर निर्णय न लेने पर प्रीमियम खत्म हो सकता है।

 

F&O कैसे खरीदा-बेचा जाता है?

1. आपके पास एक Trading Account + F&O Enabled Demat Account होना चाहिए।

2. Zerodha, Upstox, Groww जैसे ब्रोकर्स से आप F&O एक्टिवेट कर सकते हैं।

3. SEBI द्वारा निर्धारित margin और risk profile के अनुसार आपको approve किया जाता है।

4. ट्रेडिंग आप NSE (National Stock Exchange) या BSE (Bombay Stock Exchange) के F&O सेगमेंट में कर सकते हैं।

 

F&O से जुड़ी कुछ ज़रूरी शर्तें (Terms)

शब्द मतलब

Lot Size F&O में ट्रेडिंग शेयरों के bundle में होती है, जिसे lot कहते हैं (जैसे 75, 100 आदि)
Expiry Date हर F&O contract की एक समाप्ति तारीख होती है, आमतौर पर महीने के आखिरी गुरुवार को
Strike Price Options में जिस भाव पर contract लिया गया है, उसे strike price कहते हैं
Premium Options खरीदने के लिए जो फीस दी जाती है, उसे Premium कहते हैं
In the Money / Out of the Money यह terms Option की profitability को दर्शाती हैं

 

F&O ट्रेडिंग के लिए जरूरी टिप्स (Beginners के लिए)

1. ✅ शुरुआत छोटे contract से करें।

2. ✅ पहले demo या paper trading करें।

3. ✅ हर ट्रेड पर stop loss ज़रूर लगाएं।

4. ✅ Technical analysis की समझ लें।

5. ✅ Options Greeks (Delta, Theta, Vega, Gamma) को धीरे-धीरे समझें।

 

F&O और सामान्य निवेश में अंतर:

बिंदु F&O ट्रेडिंग सामान्य शेयर निवेश

समय सीमा सीमित (Expiry तक) अनलिमिटेड
जोखिम अधिक कम
पूंजी की जरूरत कम (Margin Based) पूरी रकम
ज्ञान की जरूरत अधिक सामान्य ज्ञान से शुरू संभव
उद्देश्य शॉर्ट टर्म ट्रेंड का लाभ लॉन्ग टर्म ग्रोथ

निष्कर्ष

F&O यानी Futures and Options शेयर बाजार का एक शक्तिशाली लेकिन जटिल हिस्सा है। यह अनुभवी निवेशकों के लिए कम पूंजी में ज्यादा मुनाफे की संभावना देता है, लेकिन उतना ही ज्यादा जोखिम भी रखता है। यदि आप इसे समझदारी से और रणनीति के साथ इस्तेमाल करें, तो यह ट्रेडिंग के नए द्वार खोल सकता है।

शुरुआत में धीरे-धीरे सीखना, सीमित पूंजी से शुरुआत करना, और हमेशा रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान देना F&O में सफलता की कुंजी है।

अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो तो शेयर करें और शेयर बाजार के बारे में सीखते रहें।

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